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गणगौर पूजन एवं माहेश्वरी महिला समिति का गणगौर सिंजारा

राची, झारखण्ड | अप्रैल | 01, 2024 ::

वसंत ऋतु का संदेश वाहक बनकर रंगों का तैयार होली फागुन मास की पूर्णिमा को आता है | होलिका दहन के दूसरे दिन सौभाग्य दायिनी मां गौरी का पूजन जिसे मारवाड़ी समाज गणगौर पूजन कहते है, बहुत ही श्रद्धा- भाव से किया जाता है| कुंवारी लड़कियां एवं नव विवाहित महिलाएं लगातार 16 दिन पूजा कर कुंवारी कन्या मुरली मनोहर सा वर की कामना करती है और सुहागन स्त्रियां अटल सुहाग की कामना करती है | शुरू दिनों में होलिका कि राख से पिंडलिया बनाकर दुबली घास से पूजा जाता है फिर होली के सात या आठ दिन बाद माँ शीतला कि पूजा कर शाम से गौरा संग ईश्वर जी, बहन रोवा, भाई कनीराम, मालन कि मूर्ति रूप में पूजा अर्चना की जाती है | शुरुआत होती है गणगौर सिंजारे का | गणगौर अपने आप में किसी मेले से काम नहीं है | आज भी राजस्थान के जयपुर, उदयपुर, बीकानेर, जैसा ही भारत में कई जगह में गणगौर मेले का आयोजन किया जाता है |
इस बार भी माहेश्वरी महिला समिति रांची द्वारा लक्ष्मी नारायण मंदिर सभाकर में गणगौर सिझारा का आयोजन किया गया है | जिसमें मारवाड़ी समाज कि महिला , युवतियाँ को सोलह श्रृंगार कर आना है, अगर कोई अपने घर से गणगौर लाना चाहे तो ला सकते है | डांस परफॉर्मेंस, बेस्ट ड्रेस अप, हौज़ी के साथ अन्य कई तरह के के कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है | इस गणगौर सिझारा में भाग लेने के लिए पहले से महिला समिति सदस्य से पास लेककर सिझारा का आंनन्द लिया जा सकता है |

 

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