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एकादशी का नियमित व्रत रखने से मन कि चंचलता समाप्त होती है :: स्वामी दिव्यानंद

रांची, झारखण्ड | नवम्बर | 22, 2019 :: प्रख्यात ज्योतिषी एवं धर्मगुरु स्वामी दिव्यानंद जी महाराज ने बताया व्रतों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्रत एकादशी का होता है. एकादशी का नियमित व्रत रखने से मन कि चंचलता समाप्त होती है. धन और आरोग्य की प्राप्ति होती है, उत्पन्ना एकादशी का व्रत आरोग्य, संतान प्राप्ति और मोक्ष के लिए किया जाने वाला व्रत है. यह मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है,
भगवान विष्णुजी के साथ ही देवी लक्ष्मी की पूजा करने से धन संबंधी कामों में आ रही परेशानियां खत्म हो सकती हैं।
स्वामी जी ने यह भी बताया मौसम और स्वास्थ्य के दृष्टि से इस माह में फल खाना अनुकूल होता है, इसलिए इस व्रत में फल को शामिल किया गया है।
यह व्रत दो प्रकार से रक्खा जाता है- निर्जल व्रत और फलाहारी या जलीय व्रत,
सामान्यतः निर्जल व्रत पूर्ण रूप से स्वस्थ्य व्यक्ति को ही रखना चाहिए,
अन्य या सामान्य लोगों को फलाहारी या जलीय उपवास रखना चाहिए,
इस व्रत में दशमी को रात्री में भोजन नहीं करना चाहिए,
एकादशी को प्रातः काल श्री कृष्ण की पूजा की जाती है,
इस व्रत में केवल फलों का ही भोग लगाया जाता है
और बेहतर होगा कि इस दिन केवल जल और फल का ही सेवन किया जाए.
उतपन्ना एकादशी में ये ना करें ——-
तामसिक आहार व्यहार तथा विचार से दूर रहें,
भगवान विष्णु को अर्घ्य देकर ही दिन की शुरुआत करें,
अर्घ्य केवल हल्दी मिले हुए जल से ही दें. रोली या दूध का प्रयोग न करें,
स्वामी जी के अनुसार इस दिन पूजा-पाठ से जुड़े कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं…
भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का अभिषेक दक्षिणावर्ती शंख से करें। दूध में केसर मिलाएं और शंख में ये दूध डालकर अभिषेक करें। दीपक जलाएं। पूजा में लक्ष्मी मंत्र- ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:। इस मंत्र का जाप 108 बार करें
भगवान विष्णु साथ बैठी हुई देवी लक्ष्मी की पूजा करें। घी का दीपक जलाएं। गुलाब के लाल फूल चढ़ाएं। दूध से बनी मिठाइयों का भोग लगाएं।
लक्ष्मीजी के मंदिर में जाएं और देवी मां को कमल के फूल चढ़ाएं। सफेद मिठाई का भोग लगाएं। इस दिन देवी लक्ष्मी को इत्र अर्पित करें।
शाम के समय पीपल वृक्ष के नीचे, पंचमुखी दीपक जलाएं। विष्णुजी और देवी लक्ष्मी से धन संबंधी परेशानियों को दूर करने की लिए प्रार्थना करें।
देवी लक्ष्मी के चरणों में श्रीयंत्र रखकर उसका पूजन करें। पूजा के बाद श्रीयंत्र तिजोरी में रखें।
घर की उत्तर-पूर्व दिशा में गाय के शुद्ध घी में केसर डालकर दीपक जलाएं।
लक्ष्मीजी की पूजा करते समय चांदी के सिक्के भी पूजा की थाली में रखें। पूजा के बाद इन सिक्कों को तिजोरी में रख दें।
शुक्रवार की शाम देवी लक्ष्मी की प्रतिमा का पूजन करें। पूजा में देवी लक्ष्मी के चरणों में 7 कौड़ियां रख दें। पूजा के बाद ये कौड़ियां तिजोरी में रख सकते हैं।

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