Education and rituals both side by side : guriya jha
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शिक्षा और संस्कार दोनो साथ साथ : गुड़िया झा

Education and rituals both side by side : guriya jha

रांची, झारखण्ड | फरवरी | 18, 2020 :: हमारे देश में लोगों के मन में शिक्षा के प्रति जागरूकता काफी आयी है। समाज का प्रत्येक वर्ग शिक्षा को लेकर काफी उत्त्साहित और गंभीर भी है। सभी के मन में यही कोशिश रहती है कि अपने बच्चे को अच्छी से अच्छी शिक्षा मुहैया कराई जाए। जिससे बच्चे का भविष्य उज्जवल हो। जीवन में बदलाव तो आवश्यक है। शिक्षा के साथ साथ यदि बच्चे में होने वाले आचरण में थोड़ा ध्यान देकर उसमें सुधार की जाये तो निश्चय ही यह एक अनमोल रत्न वाली बात साबित होगी।

जीवन में आगे बढ़ने की होड़ में बच्चों में इतनी प्रतियोगिता आ गई है कि उनका ध्यान इन सबकी तरफ से हटता जा रहा है। ये जिम्मेदारी हमारी बनती है कि बचपन से ही बच्चों में शिक्षा के साथ साथ संस्कार के बीज भी डालें जाएं।

1 – धैर्य और सहनशीलता
ये सब तभी संभव है जब बच्चे हमें ये सब अपनाते हुए देखेंगे।भागदौड़ भरी जिंदगी में धैर्य और सहनशीलता कम होती जा रही है।
हमें खुद ही सबसे पहले इनको अपनाकर इसे अमल में लाना होगा। बच्चों को इस बात को समझाना होगा कि वे अपने गुस्से को थोड़ा कंट्रोल में रख कर घर या बाहर कहीं भी शांत
वातावरण का माहौल बनाये रखें।
बोलने के तौर तरीके, घर में बड़े बुजुर्गों को सम्मान देना, छोटों से स्नेहिल प्यार बनाये रखना। ये सब ऐसी बातें हैं जो किताबों में नहीं पढ़ाई जाती हैं। कहा भी गया है कि बच्चे कच्ची मिट्टी के समान होते हैं।इन्हें हम जिस रूप में ढालेंगे, ये उसी रूप में आगे जाएंगे।
अच्छे अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ने के बावजूद भी हमें बच्चों को ये समझाना होगा कि वे अपने घर में अपनी भाषा में ही बातें करें। हमें खुद भी उनसे अपनी भाषा में ही बातें करनी चाहिए। इससे हमारी भाषा की पहचान भी बनी रहेगी और कहीं भी बच्चे को अपने पारिवारिक या सामाजिक समारोह में ले जाने पर अपने रिश्तेदारों से बात करने में वे संकुचित नहीं होंगे। साथ ही उन्हें अपनी संस्कृति को बचाये रखने की आदत भी बनी रहेगी।

2 – एकात्मकता
एकात्मकता वो चीज है जो घर, बाहर या परदेश कहीं भी रहने पर हमें हमेशा संबल ही प्रदान करती है। कहा भी गया है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज के बिना इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
हमें बचपन से ही बच्चों में दूसरों के सुख दुःख में शामिल होना, जरूरत पड़ने पर उन्हें किसी भी प्रकार की मदद में हाथ आगे बढ़ाना तथा संवेदना जैसी आदतों को विकसित करना होगा।इसका एक फायदा यह होगा कि बच्चे घर के सदस्य की देखभाल भी अच्छी तरह से किया करेंगे और अपने साथ दूसरे बच्चों जैसे स्कूल या पास पड़ोस के बच्चों में भी ये भावना विकसित करेंगे। आगे कहीं बाहर जाने पर भी इस तरह की आदतें रहने से उन्हें किसी भी मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ेगा।

3 – छोटी छोटी जिम्मेदारियां देना
बच्चों में उनकी योग्यता के अनुसार छोटी छोटी जिम्मेंदारियाँ देने से उनमें जिम्मेंदारियो का एहसास होता है।
जैसे हम बच्चों को ये कह सकते हैं कि वे अगले दिन के लिए अपने रूटीन के हिसाब से अपनी किताबें और कॉपियां बैग में तैयार कर के रख लें। अपने जूतों में पॉलिश और ड्रेस ये सब तैयार कर रखने से अगले दिन उन्हें इन सब के लिए भागदौड़ में अपना समय नहीं गंवाना पड़ेगा।
ये सब आदतें अपनाने से बच्चों को कहीं भी सामंजस्य में दिक्कतें नहीं आएंगी।

4 – पैसो का महत्व
पैसों के मामले मे भी बच्चों को सही जानकारी देनी चाहिए। हमेशा बच्चों को अपनी परिस्थितियों से अवगत करानी चाहिए कि हम किन परिस्थितियों में बच्चों की परवरिश कर रहें हैं। इससे उनमें फिजूल खर्च की आदतों पर अंकुश लगेगा। वे अच्छी तरह समझ पाएंगे कि पैसे को कब और कहाँ खर्च करना जरूरी है।

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