Breaking News Latest News ख़बरें जरा हटके सिनेमा

डॉक्टर गोबिंद बल्लभ पांडे, फिल्म उद्योग के बहु प्रतिभाशाली व्यक्तित्व

 

कुछ लोग पैदा ही ऐसे घरों में होते है कि उनको स्ट्रगल नहीं करना पड़ता कामयाबी के लिए। परन्तु कुछ ही लोग ऐसे होते है जो सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़के अपने हुनर , अपनी मेहनत, अपनी लगन एवं अपने जूनून से उस मुकाम को हासिल करते है जहाँ चंद लोग ही पंहुच पाते हैं। उससे भी बड़ी बात ये है कि हर सीढ़ी पर जहाँ एवं जिनके साथ उन्होंने काम किया, वहां अपनी एक पहचान छोड़के जाते है एवं उस सीढ़ी के शिखर पर पंहुच कर उसे भूलते नहीं।
आईये मिलवाते हैं आपको एक ऐसे ही शक्श से, जो मेहनत, लगन, हुनर एवं लगन की जीती जगती मिसाल है। ये शक्श हैं गोबिंद पांडेय, इन्होने अपनी पसंद, ड्रामा क्षेत्र का न सिर्फ बारीकियों से अध्ययन किया बल्कि हिंदी ड्रामा में पी एच डी की डिग्री भी हासिल की है इसलिए इनके हर एक अभिनय में एक यतार्थ की अनुभूति होती है एवं इनको किरदार में उतरकर उसको जीवंत करने की कला में निपुणता हासिल है। फिल्म इंडस्ट्री में इन्होने हर छोटे से लेकर बड़े कलाकार के साथ काम किआ है एवं अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए आज भी कटिबद्ध हैं।
१९६७ में जन्मे श्री गोबिंद पांडेय जी जिन्होंने अब तक दर्जनों फिल्मो में अपनी एक्टिगं का लोहा मनवाया है जिनमे से इंदू की जवानी से लेकर बंटी और बबली २ तक अनेक फिल्मे है। इसके अलावा दर्जनों ऐड फिल्म्स में भी उन्होंने काम किआ है जिनमे सर्च मिस्टर बदरुल इस्लाम , साइलेंट किलर एवं अमीर खुशरू इत्यादि हैं। इसके अलावा गोबिंद पांडेय जी सैंकड़ों ड्रामा एवं ऑपेरास में काम कर चुके हैं। डायरेक्शन के क्षेत्र में भी उन्हें बहुत योग्यता हासिल है एवं उन्होंने सैंकड़ों जगह अपनी डायरेक्शन का भी लोहा मनवाया है।
इसके अलावा टी वी ऐड / सीरियल एवं स्ट्रीट प्ले एवं प्ले लेखन क्षेत्र में भी उनका अनुभव किसी से कम नहीं। म्यूजिक कम्पोजीशन के क्षेत्र में भी उन्होंने एक मुकाम हासिल किया है एवं ऐसे ही अन्य दर्जनों क्षेत्रों में भी निपुणता हासिल है।
आईये इनसे इनके बारे में कुछ जानते हैं।
प्र- अपने बारे में कुछ बताएं –
उ.- मेरा नाम गोविंद पांडे है, मैं हिंदी (नाटक) में पीएचडी हूं। मैंने वर्ष 1998 से 2007 तक नेशन स्कूल ऑफ़ ड्रामा में “ए” ग्रेड कलाकार के रूप में काम किया है, इससे पहले मैं 1983-1997 तक थिएटर ग्रुप पर्वतीय कला केंद्र के साथ था। 2007 से। मैं विभिन्न फिल्मों, टीवी श्रृंखला/धारावाहिकों, टीवी विज्ञापनों आदि में काम कर रहे हिंदी सिनेमा उद्योग का हिस्सा रहा हूं।

प्र:- अपने परिवार के बारे में बताएं –
उ.- हम तीन लोगों का परिवार हैं… मैं, मेरी पत्नी, श्रीमती बबीता पांडे, जो दिल्ली में नृत्य और संगीत की शिक्षिका हैं और मेरा बेटा, जलाज पांडे, जो दिल्ली में एक कॉर्पोरेट वकील है।

प्र – आपको पहला मौका कैसे मिला –
उ- मुझे पहला मौका तब मिला जब मैं 2007-08 के आसपास नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में था। मेरी पहली फिल्म स्वर्गीय श्री ऋषि कपूर जी के साथ चिंटू जी थी, इसे श्री रंजीत कपूर ने निर्देशित किया था। मैंने एक पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका निभाई। तो इस तरह से इस फिल्म इंडस्ट्री में मेरा सफर शुरू हुआ।

प्र – आपके संघर्ष के दिनों से तैयारी और योजना-
उ.- वैसे कोई विशेष योजना नहीं थी क्योंकि मैं हमेशा इस काम में रहना चाहता था जैसा कि मैंने चिंटू जी में काम से पहले कहा था ..मैं एनएसडी में और पर्वतीय कला केंद्र के साथ काम कर रहा था। मैंने अपना संगीत प्रशिक्षण गंधर्व महाविद्यालय में भी लिया और सीखने के उद्देश्य से रंगमंच के संबंध में आयोजित की जाने वाली किसी भी कार्यशाला में भाग लेने की कोशिश की, इसलिए मैंने हमेशा अपने वरिष्ठों और गुरुओं से सीखने की कोशिश की। जिसको बाद में यतार्थ किआ – बैले की रचना, निर्देशन और निश्चित रूप से अभिनय में ..

प्र. कोई नया प्रोजेक्ट –
उ. मैं फिलहाल नेटफ्लिक्स के लिए कथल, विक्रम वेधा जैसी परियोजनाओं पर काम कर रहा हूं, जो इस साल रिलीज होनी है, और ऐसे कई और भी प्रोजेक्टस हैं।

Leave a Reply