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झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग द्वारा द्विस्तरीय विविध जिला/राज्यस्तरीय पदों की प्रतियोगिता परीक्षाओं में मैथिली को क्षेत्रीय भाषा के रूप में शामिल करने की मांग

रांची, झारखण्ड  | मार्च  | 02  2022 :: झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग द्वारा द्विस्तरीय विविध जिला/राज्यस्तरीय पदों की प्रतियोगिता परीक्षाओं में मैथिली को क्षेत्रीय भाषा के रूप में शामिल करने की मांग

मैथिली भाषा संघर्ष समिति के संयोजक अमर नाथ झा के नेतृत्व में मैथिली भाषा की मांग को लेकर घोषणानुरुप अभियान के तहत पूर्व मंत्री , विधानसभा अध्यक्ष सह रांची के विधायक सी पी सिंह को गुलाब फूल के साथ मांग पत्र सौंपा

रांची: झारखण्ड राज्य सरकार के द्वारा राजकीय झारखण्ड गजट (असाधारण अंक) 10 दिसंबर 2018 के तहत झारखण्ड राज्य के विशिष्ट क्षेत्रों में कतिपय राजकीय प्रयोजनार्थ उर्दू, संथाली, बंगला, मुंडारी, हो, खड़िया, कुडुख (उरांव), कुरमाली, खोरठा, नागपुरी, पंच परगनिया तथा उड़िया के साथ मगही, भोजपुरी, मैथिली, अंगिका एवं भूमिज भाषा को द्वितीय राजभाषा की मान्यता विषयक अधिसूचना जारी की गयी है
इधर कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग की अधिसूचना संख्या 8630, दिनांक 20 दिसंबर, 2021 द्वारा पूर्व अधिसूचित द्वितीय राजभाषाओं की सूची से झारखण्ड राज्य कर्मचारी चयन आयोग द्वारा मैट्रिक तथा इंटरमीडिएट जिला/राज्य स्तर की प्रतियोगिता परीक्षाओं हेतु वर्णित भाषाओं की सूची में मैथिली को स्थान नहीं दिया गया है।
झारखण्ड की संस्कृति, सामाजिक संरचना, आवासीय स्थिति, बोल-चाल, रहन सहन, पूर्णतः समन्वय आधारित है। यहां की भौगोलिक संरचना, खनन, वन एवं औद्योगिक परिवेश के कारण बहुभाषीय, बहुसंस्कृति, समरस, समन्वय पर आधारित समाज, आदर्श जीवन का मानदंड प्रस्तुत करता रहा है। यहां तक कि जनजातीय भाषायी क्षेत्रों में भी विविध सामाजिक समरसता साथ-साथ काम करने के कारण मिली जुली भावभूमि रही है। यही कारण है कि यहां अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा प्रायः अधिक भाषाओं में बोल-चाल, अध्ययन-अध्यापन की परंपरा है। राज्य के विविध जिलों में युगों से मैथिली भाषी निवास करते आ रहे हैं। यहां के खनिज उद्योग एवं विभिन्न कार्यक्षेत्रों में कई पीढ़ियों से उनकी सहभागिता रही है। जार्ज ग्रियर्सन द्वारा अंतिम भाषा सर्वेक्षण के अनुसार सम्पूर्ण संथालपरगना क्षेत्र को मिथिला माना गया है ।अतः मैथिली भाषा भाषी को नियोजन नीति से वंचित किया जाना सामान्य न्याय और उनके संवैधानिक अधिकार पर प्रहार है।
राज्य के एस के एम यूनिवर्सिटी, दुमका एवं कोल्हान यूनिवर्सिटी, चाईबासा में मैथिली की पढ़ाई स्नातक कक्षाओं में स्वीकृत है तथा अंगीभूत कालेज में मैथिली भाषा की पढ़ाई हो रही है।इंटरमीडिएट एवम मध्यमा के पाठ्यक्रम में मैथिली सम्मिलित है ।

अतः पूर्व से यथा अधिसूचित द्वितीय राजभाषा की सूची में शामिल मैथिली भाषा को भी अन्य द्वितीय राजभाषा की तरह झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग की जिला /राज्यस्तरीय पदों की परीक्षाओं के लिए पात्र भाषा के रूप में अधिसूचित करने की मांग झारखण्ड सरकार से की है
मैथिली भाषा संघर्ष समिति का एक मांग पत्र लेकर रांची विधानसभा सदस्य सी पी सिंह से उनके आवास में जाकर मुलाकात की और गुलाब का फूल देकर मांग पत्र सौंपा इस दौरान विधायक सी पी सिंह ने प्रतिनिधिमंडल
आश्वासन दिया कि मैथिली भाषा को शामिल करने के लिए हरेक आंदोलन में मैं मैथिली भाषा भाषियों के साथ हूं विधानसभा में भी मैं इस मामले को अपने स्तर से देख रहा हूं प्रतिनिधिमंडल में संयोजक अमर नाथ झा, अरुण कुमार झा,प्रेम चंद्र झा,अजय झा, कृष्ण कुमार झा और अन्य कई लोग शामिल थे

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