राची, झारखण्ड | मार्च | 20, 2024 ::
सरहुल पर्व की तैयारी को लेकर केंद्रीय सरना समिति रांची की बैठक में चर्चा की गई।अध्यक्षता समिति के केंद्रीय अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने की। बैठक में सरहुल पूजा धूमधाम एवं शांतिपूर्ण ढंग से मनाने को लेकर चर्चा की गई। बैठक में केंद्रीय अध्यक्ष तिर्की ने कहा कि सरहुल त्यौहार प्राकृतिक पूजक आदिवासियों का सबसे बड़ा त्यौहार है। सरहुल पर्व चैत के महीने में होता है। सरहुल में प्रकृति की पूजा की जाती है। पेड़ पौधे, पहाड़ पर्वत, नदी नाला, सूरज, धरती, आकाश, पाताल एवं अपने पूर्वजों की पूजा पाठ करते हैं। रांची का सरहुल विदेशों में भी प्रसिद्ध है। सरहुल त्यौहार मनाने के लिए देश-विदेश से लोग रांची पहुंचते हैं। सरहुल पर्व को लेकर लोग काफी उत्साहित हैं एवं लोग सरहुल की तैयारी में जुटे हुए हैं। अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के अध्यक्ष सत्यनारायण लकड़ा ने कहा कि सरहुल पर प्राकृतिक पूजक आदिवासियों का पवित्र त्यौहार है सरना स्थल में पहान के द्वारा रूढ़िवादी परंपरा संस्कृति के अनुसार पूजा पाठ करें ,उन्होंने सरकार से मांग किया है कि सरहुल पर्व को राजकीय पर्व घोषित करें एवं तीन दिनों की राजकीय अवकाश घोषित करें। निर्मल पहान ने कहा कि 10 अप्रैल को उपवास एवं केकड़ा, मछली पकड़ना एवं पहान के द्वारा सरना स्थल में घड़ा में पानी रखकर पूजा पाठ किया जाएगा। 11 अप्रैल को सुबह पहान के द्वारा घड़े में पानी देखकर मौसम की भविष्यवाणी की जाएगी। सरना स्थल में पूजा पाठ करने के बाद दोपहर एक बजे सरहुल शोभायात्रा निकाली जाएगी। बैठक में बिमल कच्छप, बना मुंडा, जयराम किस्पोट्टा, सोहन कच्छप, प्रमोद एक्का, सहायक तिर्की आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।