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हास्य नाटक, ‘अरे ! शरीफ़ लोग’ का मंचन 25 को आर्यभट्ट सभागार में

रांची, झारखण्ड | मई | 22, 2019 :: अभी अभी चुनावों के टेंशन के बीच शहरवासियों को रहना पड़ा है। विगत एक डेढ़ महीने से दुविधा, तनाव खीज और आशंका की त्रासदी झेलते राँचीवासियों के लिए मन को शुकून देने वाली एक फुहार और गुदगुदी लेकर आ रहा है पूर्णकालिक हास्य नाटक ‘अरे ! शरीफ़ लोग’। जो यहां के शरीफ़ लोग के मन को रिलैक्स करेगा। इस नाटक का आनंद लेने के लिए प्रवेश निःशुल्क हैै।
संस्कार भारती राँची महानगर की प्रस्तुति ‘अरे ! शरीफ़ लोग’ का मंचन आर्यभट्ट सभागार में 25 मई को संध्या 6 बजे से होना है। नाटक की अवधि लगभग 2 घंटे की है। मूल मराठी नाटक ‘अरे ! शरीफ़ लोग’ के लेखक जयवंत दलवी तथा हिन्दी रूपान्तरकार डाॅ॰ विजय बापट हैं। इस नाटक का निर्देशन किया है डाॅ॰ सुशील कुमार अंकन ने।
अधेड़ उम्र के पुरूषों की ताका-झांका वाली मानसिकता और उनकी पत्नियों की निगरानी वाली पुश्तैनी आदतों के ताने बाने से बुना यह नाटक परिस्थतिजन्य हास्य पैदा करता है। एक चाॅल में रहने वाले कई परिवार, वर्षों से साथ रहते आ रहे हैं किन्तु जब कोई खूबसूरत युवती उसी चाॅल में रहने आ जाय तो उन पुरूषों की तो पूछिए ही मत। ताका-झांकी के बहानों की तो अंबार लग जाती है साथ ही उनकी पत्नियों की निगरानी भी कई गुना बढ़ जाती है।
उस चाॅल के पुरूषों की आदतों की वजह से ही एक किशोर अपने डिंगडाँग आइडिया से उन सब को फजिहत में डाल अपना टाइम पास करता रहता है। ऐसी ही हास्य परिस्थितियों का नेटवर्क है अरे ! शरीफ लोग।
संस्कार भारती के कलाकारों में राकेश रमण, शशिकला पौराणिक, विकास कुमार, सुकुमार मुखर्जी, रीना सहाय, ओम प्रकाश, अर्पणा श्रीवास्तव, विनय कुमार, रोशन प्रकाश, स्तुति बाला ने इस नाटक में अभिनय किया है। मंच सज्जा विश्वनाथ प्रसाद, कृष्णबल्लभ सहाय और अपूर्वा का है जबकि प्रकाश व्यवस्था ऋषि कांस्यकार ने की है। मंचीय व्यवस्था में आशुतोष प्रसाद, अवधेश, अनिल सिकदार और देवपूजन ठाकुर हैं। सहयोग उमेशचंद्र मिश्र, भूपेन्द्र नारायण सिंह, सुशील मिश्र, गणेश रेड्डी ने किया है।

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