आलेख़

स्वच्छ और स्वस्थ मानसिकता

स्वच्छ और स्वस्थ मानसिकता = गुड़िया झा

हम अपने जीवन में सफाई के प्रति बहुत ही जागरूक रहते हैं।
सफाई का मतलब हम सिर्फ बाहरी चीजों को ही समझते हैं। लेकिन कभी कभी हम यह भूल जाते हैं कि इन सबके अलावा हमारी जिंदगी से जुड़ी हुई जो सबसे महत्वपूर्ण चीज है उसकी भी सफाई बहुत जरूरी है और वह है हमारी मानसिकता। जिसके माध्यम से हम अपनी और दूसरों के जीवन से जुड़ी हुई जो बहुत सी बातें हैं उसे अपनी विचारों की शुद्धता से सभी के जीवन में प्रगति ला सकते हैं। सबकुछ होते हुए भी स्वस्थ मानसिकता के बिना दुनिया की प्रत्येक वस्तु अधूरी है।
क्यों न इस दीवाली के मौके पर हम अपने घरों के साथ साथ अपने दूषित विचारों की भी सफाई करें।
अपनी मानसिकता को स्वस्थ बनाने के लिए कुछ बातों को अपने जीवन में लागू कर हम स्वयं के साथ साथ दूसरों के लिए भी एक प्रेरणास्त्रोत बन सकते हैं।
1, मैं स्वयं या दूसरों के बारे में कोई शिकायत का भाव नहीं रखता हूं।
हमें अपने जीवन में स्वयं से और दूसरों से भी बहुत सी शिकायतें रहती हैं। इन शिकायतों के कारण हमारे रिश्तों में दरार पड़ने की संभावना बनी रहती है साथ ही इससे हमारा सामाजिक दायरा भी सिमट कर छोटा होता जाता है। जिसके कारण हमारी प्रगति के मार्ग में भी कई बाधाएं उत्पन्न होती हैं। सबसे पहले तो हमें खुद के प्रति शिकायत छोड़नी होगी।
शिकायत वो जहर है जिसे पीते हम हैं और सोचते हैं कि इसका असर दूसरों पर होगा।
अपनी मानसिकता को स्वस्थ बनाने की मुहिम में शिकायतों को छोड़ना हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। क्योंकि जब हम अपने दिलो दिमाग से गलत बातों को निकालेंगे तभी अच्छी बातों को अपनाने के लिए जगह मिल पायेगी। शिकायतों को छोड़ने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि सभी शिकायतों को एक कागज पर लिख लिया जाए।
2, मैं पीठ पीछे निंदा नहीं करता हूं और झूठ नहीं बोलता हूं।
अनावश्यक बातें कर और पीठ पीछे लोगों की निंदा कर समय बर्बाद करने की हमारी बहुत बुरी आदत होती है। दूसरे व्यक्ति से किसी तीसरे व्यक्ति की निंदा कर हम बेवजह अपनी मानसिकता को दूषित करते हैं।
कई बार ऐसा भी होता है कि हमें झूठ बोलने की आदत भी हो जाती है। झूठ बोलने की आदत हमें सबसे पहले खुद को छोड़नी होगी। कहा भी गया है कि एक झूठ के कारण फिर बहुत सारे झूठ बोलने की आदत हमें हो जाती है। जब हम इस प्रकार की मानसिकता को छोड़कर आगे बढ़ते हैं, तो बहुत सारे सुनहरे अवसर हमारा इंतजार कर रहे होते हैं।
3, मैं महिलाओं का सम्मान करता हूं और साथी नागरिकों के प्रति संवेदनशील हूं।
हमारे देश की परिस्थितियों में पहले से काफी बदलाव आया है। महिलाओं को सभी क्षेत्रों में काफी सम्मान भी मिलता है। किसी भी देश की उन्नति में महिलाओं का योगदान काफी महत्वपूर्ण होता है। इसलिए महिलाओं का सशक्त होना बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान देता है साथ ही हमें अपने आसपास के लोगों के प्रति संवेदना भी रखनी होगी कि उन्हें किसी भी प्रकार की प्रताड़ना का सामना नहीं करना पड़े।
4, मैं रोजाना आठ घंटे काम करता हूं और हमेशा अपने वचन की इज्जत करता हूं।
अपने काम के प्रति ईमानदार होना भी बहुत ही मायने रखता है। क्योंकि इसी से हमारे आगे की प्रगति का मार्ग भी प्रशस्त होता है। इसलिए हमें आठ घंटे काम करने की आदत विकसित करनी होगी ।
हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि अगर हमने किसी को कुछ वचन दिये हैं, तो उसे पूरी ईमानदारी के साथ पूरा करें। अपने वचन की इज्जत करना हमें अपने कार्यों के प्रति ईमानदार बनाता है।
5, मैं स्वयं के और दूसरों के प्रति आभार प्रकट और सराहना करता हूं।
अपने अच्छे कार्य के लिए हमें स्वयं को भी धन्यवाद देना चाहिए। इससे हमें आगे और भी कार्यों को करने के लिए प्रेरणा मिलती है। उसी प्रकार से हमें दूसरों को भी उनके कार्यों के लिए धन्यवाद देना चाहिए और उनकी सराहना करनी चाहिए।
6, मैं नियमित रूप से व्यायाम, प्रार्थना और ध्यान लगाता हूं।
अपने शरीर को स्वस्थ और अपने मन को शांत रखने के लिए हमें नियमित रूप से व्यायाम, प्रार्थना और ध्यान लगाने की आदत को विकसित करनी होगी।
7, मैं अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एकाग्रता, संकल्प शक्ति और आकर्षक व्यक्तित्व का उपयोग करता हूं।
हम अपने जीवन में बड़े से बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एकाग्रता, दृढ इच्छा शक्ति को पूरी मेहनत और ईमानदारी के साथ अपनाकर कार्य करें , तो सफलता निश्चित ही हमारे कदम चूमेगी।

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