आलेख़ कैंपस लाइफस्टाइल

किसी कार्य को करने से पूर्व उसके परिणाम के संबंध में पूरी तरह से विचार अवश्य करें : डॉ परिणीता सिंह ( योग विशेषज्ञ )

 

कर्म करना जीवन का अनिवार्य नियम है। परंतु किसी कार्य को करने से पूर्व उसके परिणाम के संबंध में पूरी तरह से विचार अवश्य करनी चाहिए ।
वह कार्य जो उचित हो, हितकारी हो, उत्साह के साथ करना चाहिए।
कार्य को इस प्रकार करना चाहिए कि वह बंधन का कारण ना बने और सिद्ध साबित हो जाए ।
गीता में योग को कर्म की कुशलता कहा गया है कर्म योग मतलब निष्काम कर्म जहां अनासक्ति भाव हो।
कर्म योगी अपने को किसी भी कर्म का कर्ता नहीं मानता है सभी कर्मों को परमात्मा में अर्पण करके और आसक्ति को त्याग कर कर्म करता है ।

श्रीमद भगवत गीता में कहा गया है कि

यज्ञार्थात्कर्मणोऽन्यत्र लोकोऽयं कर्मबन्धनः।
तदर्थं कर्म कौन्तेय मुक्तसंगः समाचर।।3.9।।

अर्थात कर्मों को फल की आसक्ति से रहित होकर निमित्त भाव से करना चाहिए ऐसे भाव अंत करण को शुद्ध करते हैं। ऐसे आसक्ति रहित अंत करण वाला साधक आत्मा में स्थित सात्विक आनंद को प्राप्त करता है ।
जन्म जन्मांतर से संचित  संस्कारों का क्षय कर्म योग द्वारा संभव हो पाता है।
अपने जीवन को संतापो से मुक्ति ही कर्म योग का सार है।
इस योग द्वारा अहंकार का नाश होता है ।
अहंकार से ही इच्छा, वासना और आसक्ति पूर्ण कर्म होते हैं और कर्ता पन का बोध होता है ।
अहं का त्याग कर्तापन को समाप्त करता है ।

“नहं कर्ता, हरि: कर्ता, हरि: कर्ता  हि केवलम”।

अहंकार शुन्यता बनाए रखना ही कर्म योग का उद्देश्य है।
अहम् भाव समाप्त होने से ही हम सजगता की उच्च अवस्था को प्राप्त करते हैं और चेतना का विकास होता है।

स्वामी शिवानंद जी के अनुसार कर्म को कर्म योग में बदलने के लिए व्यक्ति को अपने अंदर कुछ गुणों को विकसित करना पड़ता है ।
जैसे प्रेम और अपनत्व की भावना से सामाजिक व्यवहार करना । दया, क्षमा, सहनशीलता, कृतज्ञता का भाव भी उत्पन्न करना ।

स्वामी विवेकानंद के अनुसार कर्म योग वह योग है जो निस्वार्थ परता और सत्कर्म द्वारा मुक्ति लाभ दे।
यह योग मन के रजो तथा तमोगुण को साफ कर मन का रूपांतरण करता है ।
इस योग में कुशलता उत्पन्न करने के लिए एक समय में एक ही कार्य पर बल दिया जाता है जिस कारण एक ही विचार पर मन लगा रहता है यह एक प्रकार का गत्यात्मक ध्यान है जिससे धैर्य और स्थिरता उत्पन्न होती है।
आज के तनावपूर्ण माहौल में इस योग को अपनाकर जीवन को सरल एवं सफलता पूर्ण बनाया जा सकता है ।
बहुत सारी दैनिक जीवन की समस्याओं का निराकरण कर्म योग द्वारा संभव हो सकता है

डॉ परिणीता सिंह

Associate to Lens Eye

Leave a Reply