रांची, झारखण्ड | अप्रैल | 26, 2020 :: हमारा देश भारत अपनी संस्कृति के लिए ही पूरी दुनिया में मशहूर है।
ऐसे में हमारी यह और भी बड़ी जिम्मेदारी बनती है कि इसके प्रति गम्भीर होकर इस धरोहर को बचाये रखें।
कई बार ऐसा देखा जाता है कि जैसे जैसे हम आगे बढ़ते जाते हैं संस्कृति से दूर होते जाते हैं।
रोजगार की तलाश में हम घर से दूर शहरों में जाकर जीवन यापन करते हैं।
भागदौड़ भरी जिन्दगी में हमेशा दूसरों से आगे निकलने की होड़ में इतना व्यस्त हो जाते हैं कि अक्सर हम अपनी संस्कृति भूल जाते हैं, या फिर समय के अभाव के कारण इस पर से हमारा ध्यान हट जाता है।
हमारी थोड़ी सी जागरुकता से इसे अवश्य बचाया जा सकता है।
1. ग्रामीण जीवन के प्रति रूचि
पहले हमारे पूर्वज गावों में ही रहा करते थे। बड़े ही मेहनत से उनके द्वारा बनाये गये आशियाने को समय समय पर हमारी भी देखभाल की जरूरत होती है।
जब भी हमें अपने काम से फुरसत मिले, बीच में गांव जरूर जायें, तो हम पायेंगे कि जिस चकाचौंध भरी दुनिया में हमने अपना सुकून खो दिया है, वो थोड़े दिनों के लिए ही सही, लेकिन गांव आने पर मन को कितनी शांति मिलती है।
दिमाग पर पड़े बोझ अपने आप ही कम होते दिखाई देते हैं। वो मिट्टी की खुश्बू, हरे भरे खेत, अच्छी फसलें और उन फसलों को देखकर गांव में रह रहे लोगों के चेहरे पर जो मुस्कान मिलती है, उसकी बात ही कुछ अलग है।
प्रकृति से लगाव और प्रकृति का बचाव ही हमें आगे बढ़ने में हमारी मदद करेगा।
गांव में रह रहे अपने सगे संबंधियों की भी समय-समय पर हाल-चाल लेते रहना चाहिए।
आखिर हमारी रिश्तों की खुश्बू की शुरुआत भी यहीं से होती है। हम चाहे कितने ही दिनों के बाद घर वापस क्यों ना जायें, ये रिश्ते ही हमेशा अपनेपन का एहसास हमें कराते हैं।
2. त्योहारों की अनदेखी ना करें
हमारे देश में विभिन्न सम्प्रदाय के लोग रहते हैं। प्रत्येक की अपनी एक अलग ही छवि होती है।
हम कितने ही आधुनिक क्यों न हो जायें, अपने घर में मनायें जाने वाले पर्व को अपनी रीति से ही मनायें।
हर पर्व हमें कुछ न कुछ संदेश देता ही है।
अगर हमनें इनकी गरिमा को बनाये रखा, तो यकीन मानिये हमारी आने वाली पीढ़ी भी हमारे चले हुये रास्ते पर ही चल कर अपनी धरोहर को बचाये रखने में वो हमसे कहीं ज्यादा योगदान देगी।
यदि हम सभी अपनी अपनी जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी के साथ निभाएंगे, तो किसी को कुछ सिखाने की नौबत ही नहीं आएगी।
क्योंकि सामने वाले अक्सर हमें देख कर ही खुद को उस सांचे में ढालते हैं, जो उनके और देश हित के लिए उचित है।
3, भाषा की पहचान
भारत में कई प्रकार की भाषाएं भी बोली जाती है। अपनी भाषा की पहचान बनाये रखना भी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।
हमारे घर में जो भाषा बोली जाती है, कोशिश करनी चाहिए कि घर में रहें, तो अपनी भाषा में ही बात करें।
भले ही हमें कितनी अच्छी अंग्रेजी क्यों न आती हो। इस ओर भी हमारा ध्यान आकर्षित होना चाहिए।
जब हम अपनी भाषा में बात करेंगे, तो हमारे बच्चे भी अपने आप ही उसका अनुसरण करना सीखेंगे।


