अगस्त 13, 2017 :: हिन्दी सिनेमा ने अपने बीते 102 सालों में कई खूबसूरत और अद्भुत नायिकाओं से परिचय कराया। इन्हीं सुंदरतम नायिकाओं में एक नाम था वैजयंती माला का। इनकी खूबसूरती, नृत्यकला और इनके अभिनय कौशल ने बॉलीवुड में इन्हें एक अलग ही मुकाम दिया। बॉलीवुड में आज तक इनको कोई दूसरा विकल्प कोई खोज नहीं पाया।
बहुमुखी प्रतिभा की मल्लिका वैजयंती का जन्म 13 अगस्त, 1936 को मद्रास (चेन्नई) में एक तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम एम.डी. रमन और मां का नाम वसुंधरा देवी था। उनकी मां 1940 के दशक की लोकप्रिय तमिल अभिनेत्री थीं। वैजयंती माला ने 13 साल की उम्र में ही अभिनय की दुनिया में कदम रखा था। उन्होंने साल 1949 में आई तमिल फिल्म ‘वड़कई’ से अभिनय की शुरुआत की। हिंदी सिनेमा में उन्होंने 1951 में आई फिल्म ‘बहार’ से कदम रखा था। वैजयंती माला की कामयाब फिल्मों में ‘नई दिल्ली’, ‘नया दौर’ और ‘आशा’ शामिल हैं। 1964 में आई फिल्म ‘संगम’ में निभाया राधा का उनका बोल्ड किरदार और उन पर फिल्माया गाना ‘मैं क्या करूं राम मुझे बुढ्ढा मिल गया’ काफी प्रसिद्ध हुआ।
इसके बाद फिल्म ज्वेल थीफ में उन पर फिल्माया गया गाना ‘होठों पे ऐसी बात’ अब भी लोगों की जुबां पर है। 1950-60 के दशक में वह प्रथम श्रेणी की नायिका के रूप में जानी जाती थीं। वैजयंती माला ने 1957 में आई फिल्म ‘देवदास’ में चंद्रमुखी की भूमिका निभाई थी, जिसके लिए उन्हें उसी साल फिल्म फेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्हें 1959 में फिल्म ‘मधुमती’, 1962 में गंगा जमुना और 1965 में संगम के लिए फिल्म फेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार से नवाजा गया। सालों तक दर्शकों के दिलों पर राज करने वाली एक मंझी हुई अभिनेत्री के अलावा वैजयंती बेहद कुशल नृत्यांगना भी हैं। वह भरतनाट्यम की नृत्यांगना, कर्नाटक शैली की गायिका और नृत्य प्रशिक्षक भी रही हैं। व्यक्तिगत जीवन हर फिल्मी कलाकार की तरह अफवाहों का सिलसिला उनके जीवन का भी हिस्सा रहा है।
अपने फिल्म करियर के दौरान वह दिलीप कुमार और राज कपूर के करीब आईं। राज कपूर की पत्नी ने जब उनके रिश्ते पर प्रश्न उठाया तो वह इसी शर्त पर मानीं कि वैजयंती, राज कपूर के साथ काम नहीं करेंगी। ‘संगम’ के बाद वैजयंती माला और राज कपूर की लोकप्रिय जोड़ी टूट गई। उन्होंने भी अपने जीवन में नाकामयाबी की भी मार झेली, लेकिन फिर उन्होंने देव आनंद के साथ 1967 में आई सफल फिल्म ‘ज्वेल थीफ’ से एक नई शुरुआत की। इस दौरान उनके जीवन में आए डॉ. चमनलाल बाली। एक बार वैजयंती को निमोनिया हो गया था, जिसका इलाज डॉ. बाली कर रहे थे। बाली भी उनके प्रशंसकों में से एक थे। वैजयंती का इलाज करते-करते दोनों में प्यार हो गया और 10 मार्च, 1968 को दोनों शादी के बंधन में बंध गए। उनका एक बेटा है। 13 अगस्त, 2017 को सुनहरे दौर की अभिनेत्री वैजयंती माला 80 साल की होने जा रही हैं। उनका जीवन कई दक्षिण अभिनेत्रियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी रहा। उनमें से एक रहीं हेमा मालिनी। हेमा खुद वैजयंती की बहुत बड़ी प्रशंसक हैं। वैजयंती माला ही वह अभिनेत्री थीं, जिन्होंने हिंदी सिनेमा में शास्त्रीय नृत्य को पहचान दिलाई थी। वह बतौर राज्यसभा सदस्य भी रह चुकी हैं। सौंदर्य की मलिका वैजयंती माला ने अपने जीवन का हर किरदार बखूबी निभाया है। डांसिंग स्टार के नाम से पहचाने जाने वाली अभिनेत्री की सुंदरता और डांस आज भी लोगों के जेहन में बसा है।
अालेख: कयूम खान, लोहरदगा।