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लक्ष्य प्राप्ति के बाद होने वाली खुशी का अनुभव कर कार्य करने से सफलता जल्दी प्राप्त होती है : गुड़िया झा

रांची, झारखण्ड |  अक्टूबर   | 27, 2020 :: आमतौर पर हम सभी के जीवन में कुछ न कुछ लक्ष्य अवश्य होते हैं। कई बार हम इस पर विचार, विमर्श कर बहुत सी योजनायें भी बनाते हैं। हमारा लक्ष्य निश्चित, स्पष्ट और उचित होना चाहिए और साथ ही प्रेरित करने के लिए पर्याप्त चुनौतीपूर्ण भी। हमारे लिए यह जानना भी जरूरी है कि लक्ष्य हमारी स्वाभाविक क्षमता और जीवन के मुख्य उद्देश्य से मेल खाता हो। हमारा लक्ष्य स्वयं और दूसरों की भलाई के लिए भी हो। अगर हम ये सोचें कि जो हमारे लक्ष्य हैं जब हम उन्हें प्राप्त कर लेंगे तो कितनी खुशी प्राप्त होगी। इसी खुशी की कल्पना करते हुए लक्ष्य प्राप्ति से पहले इसका अनुभव कर अपने कार्य में जुट जायें, तो सफलता की खुशी कई गुणा ज्यादा बढ़ जाने की सम्भावना बनी रहती है। बस, इसके लिए हमें सफलता से सम्बंधित कुछ बातों को ध्यान में रखना होगा।
1, सफलता से पहले खुशी का अनुभव करना।
अपने लक्ष्य की प्राप्ति के बाद होने वाली खुशी का अनुभव करना ही एक ऐसी ताकत है जो खुद हमारे भीतर मौजूद है। जरूरत है तो बस इसे अपने जीवन में लागू करने की। इसके सहारे हम अपने जीवन में बड़े से बड़े लक्ष्य को भी बहुत आसानी से पा सकते हैं।
उदाहरण स्वरूप- जब एक गर्भवती माँ अपने होने वाले शिशु के लिए नौ महीनों की उन सभी शारीरिक तकलीफों को बहुत ही धैर्यपूर्वक सहन कर अपने शिशु को गोद में पाने की कल्पना कर  वर्तमान में प्रसव पीड़ा को भी आसानी से सहती है और एक नयी जिंदगी को जन्म देती है।
उसी प्रकार से जब हम अपने जीवन में कोई लक्ष्य निर्धारित करें, तो उसके प्राप्त करने की खुशियां अपने भीतर लायें। फिर हमारा उत्साह लक्ष्य प्राप्ति की भूमिका में काफी बढ़ जाता है। यहीं से पहला सफर शुरू होता है लक्ष्य की प्राप्ति के लिए।
2, अपने वचनों को पूरा करना।
लक्ष्य को पूरा करने में हमारे वचनों का भी महत्वपूर्ण योगदान है। जब भी हम कोई वचन देते हैं, तो उसे पूरा करने में कई प्रतिकूल परिस्थितियों का भी सामना करना पड़ता है। लेकिन हमारी प्रतिबद्धता ही हमारे वचनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है। इसलिए हमें अपने जीवन में सफल होने के लिए अपने वचनों को पूरा करने की शक्ति और सामर्थ्य जरूरी है।
लक्ष्य प्राप्ति में कार्य करते समय स्वयं को ज्यादा जिम्मेदार बनाते हुए जब हम कोई जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हैं, तो ये दूसरों के लिए भी प्रेरणादायक बनता है। हमें अपने भीतर इस भावना को भी जगाना होगा कि हार और जीत जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अपने लक्ष्य प्राप्ति की भूमिका में अगर कभी हमें असफलता का सामना भी करना पड़े तो इसे अपने लिए सफलता की सीढ़ी मानकर निरंतर आगे बढ़ते रहें। हो सकता है कि हमारे कार्य करने की दिशा में कुछ कमियां रह गई हों। जब उसे दूर कर हम पूरे धैर्य और ईमानदारी से अपने कार्य में लगे रहेंगें, तो मंजिल भी हमें अपने करीब आती दिखाई देगी।

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