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यूनिसेफ ने आपदा प्रबंधन को लेकर आयोजित की आनलाइन कार्यशाला

रांची, झारखण्ड  | अगस्त  | 20, 2021 :: एनएसएस वोलेंटियर्स को बज्रपात, आंधी तथा बाढ़ जैसी आपदाओं से बचाव को लेकर यूनिसेफ, एनएसएस झारखंड, सेंटर फाॅर चाइल्ड राइट्स तथा एनयूएसआरएल रांची के द्वारा आॅनलाइन प्रशिक्षण दिया गया। इस कार्यकम में झारखंड के 14 जिलों (दुमका, गोड्डा, जामताड़ा, देवघर, साहिबगंज, पाकुड़, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला खरसावां, हजारीबाग, चतरा, कोडरमा, गिरिडीह एवं रामगढ़) के 200 से अधिक एनएसएस वोलेटियर्स ने भाग लिया तथा आपदा प्रबंधन से जुड़े मुद्दों पर प्रशिक्षण प्राप्त किया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम को रांची यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर, प्रो. कामिनी कुमार; यूनिसेफ झारखंड की कम्युनिकेशन आॅफिसर आस्था अलंग; यूनिसेफ की बाल संरक्षण विशेषज्ञ प्रीति श्रीवास्तव; सेंटर फाॅर चाइल्ड राइट्स की चेयरमैन एवं एनयूएसआरएल की एसोसिएट प्रोफेसर डा. के. श्यामला; एनएसएस के स्टेट नोडल आॅफिसर डा. ब्रजेश कुमार; क्लाइमेट रेसिलिएंट आॅब्जर्विंग सिस्टम्स प्रोमोशन काउंसिल के चेयरमैन, कर्नल संजय श्रीवास्तव तथा एनडीआरएफ नौवीं बटालियन के इंस्पेटर राहुल वर्मा ने संबोधित किया।
प्रशिक्षण सत्र को संबोधित करते हुए रांची यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर डा. कामिनी कुमार ने कहा, ‘‘आपदा प्रबंधन को लेकर एनएसएस वोलेंटियर्स को प्रशिक्षित करना एक अच्छी पहल है, क्योंकि यह एक सामयिक विषय है। वर्तमान में बरसात का मौसम चल रहा है। इस समय बाढ़, आंधी-तूफान तथा बज्रपात की घटनाएं अलग-अलग जगहों पर देखने को मिल रही है। अतः लोगों को इन मुद्दों पर प्रशिक्षित करना कई जानें बचा सकता है। हम सभी जानते हैं कि प्राकृतिक आपदाओं का कारण मानवीय भूल और पर्यावरण से छेड़छाड़ है। प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले एनएसएस वोलेंटियर्स का यह दायित्व है कि वे इसके बारे में समुदायों में एवं स्कूलों तथा काॅलेजों में जाकर लोगों को बताएं कि वे कैसे इन चुनौतियों से सामना कर सकते हैं। साथ ही लोगों को पर्यावरण संरक्षण को लेकर भी जागरूक करें, ताकि इस पृथ्वी को अधिक सुरक्षित बनाया जा सके।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए सावधानियों का पालन करना भी आवश्यक है। रांची विश्वविद्यालय में व्यावसायिक शिक्षा पाठ्यक्रम के अतंर्गत आपदा प्रबंधन विषय को लेकर सर्टिफिकेट एवं डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू करने की मंजूरी दे दी गई है। सर्टिफिकेट कोर्स 6 महीने का, जबकि डिप्लोमा कोर्स का पाठ्यक्रम एक वर्षीय होगा।’’
यूनिसेफ की बाल संरक्षण विशेषज्ञ प्रीति श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘रांची विश्वविद्यालय के द्वारा आपदा प्रबंधन विषय पर पाठ्यक्रम शुरू करने का फैसला एक दूरगामी परिणाम देगा। यूनिसेफ इस पाठ्यक्रम के निर्माण में तकनीकी सहयोग देने में रांची विश्वविद्यालय की हर संभव सहायता करेगा। आपदा प्रबंधन के संदेश को लोगों तक पहुंचाने में एनएसएस के स्वयंसेवकों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। यह हम सबका कर्तव्य है कि इस विषय को लेकर अधिक से अधिक लोगों तक संदेशों को पहुंचाया जाए, ताकि जानमाल के नुकसान और हानि से बचा जा सके।’’
प्रशिक्षण कार्यक्रम को रिसोर्स पर्सन के बतौर श्री संजय श्रीवास्तव, चेयरमैन, क्लाइमेट रेसिलिएंट आॅब्जर्विंग सिस्टम्स प्रोमोशन काउंसिल तथा एनडीआरएफ नौवीं बटालियन के इंस्पेटर राहुल वर्मा ने संबोधित किया तथा प्रतिभागियों को आपदा प्रबंधन से जुड़े सभी तकनीकी जानकारी प्रदान की।
श्री संजय श्रीवास्तव ने बज्रपात से सुरक्षा के लिए भारत सरकार के ‘‘दामिनी एप’’ डाउनलोड करने पर बल दिया, ताकि समय रहते क्षेत्र विशेष में बज्रपात होने की जानकारी मिल सके और लोग खुद को सुरक्षित कर सके।। इसके अलावा उन्होंने घरों में तड़ित चालक लगाने का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि राज्य में पश्चिमी सिंहभूम जिले में सबसे अधिक बज्रपात की घटनाएं होती है। यह आवश्यक है कि खतरे वाले जगहों एवं इलाकों की पहचान कर सुरक्षा उपायों को अपनाया जाए।’’
प्रशिक्षण कार्यशाला में बाढ़ के खतरों से बचाव की जानकारी देते हुए एनडीआरएफ नौवीं बटालियन के इंस्पेटर राहुल वर्मा ने कहा, आपदा से मुकाबले के लिए सावधानियों का पालन करना तथा सुरक्षा उपायों को अपनाना अत्यंत जरूरी है। उन्होंने बाढ़ के खतरे वाले स्थानों में रहने वाले लोगों को समय पर खाद्य पदार्थों एवं जरूरी दवाइयों आदि का संग्रह करने का सुझाव दिया। इसके अलावा, उन्होंने बाढ़ की स्थिति में कैसे आपदा का सामना किया जाए इसको लेकर कई टिप्स भी प्रतिभागियों को दिए।
कार्यक्रम में शामिल अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत सेंटर फाॅर चाइल्ड राइट्स की चेयरमैन एवं एनयूएसआरएल की एसोसिएट प्रोफेसर डा. के. श्यामला ने किया। उन्होंने कहा कि आपदा प्रकृति की देन है, जिसे कैसे रिस्पांड करना है इसके बारे में हमें जानना चाहिए। इस प्रशिक्षण के माध्यम से लोगों तक संदेश पहुंचाया जाएगा कि इससे कैसे मुकाबला किया जाए। यूनिसेफ, एनएसएस तथा एनयूएसआरएल के सेंटर फाॅर चाइल्ड राइट्स के माध्यम से इन संदेशों को जन-जन तक पहुंचाया जाएगा।
धन्यवाद ज्ञापन एनएसएस के स्टेट नोडल आॅफिसर डा. ब्रजेश कुमार ने किया। उन्होंने कहा, आज के कार्यक्रम में 14 जिलों के एनएसएस वोलेंटियर्स को आपदा प्रबंधन के बारे में प्रशिक्षण दिया गया है। इससे पूर्व 10 जिलों के स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया गया था। ये सभी स्वयंसेवक अब लोगों को इसके बारे में जागरूक करके लोगों को आपदा से बचाव के बारे में बताएंगे, ताकि राज्य में जानमाल की हानि को कम किया जा सके।

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