Breaking News Latest News ख़बरें जरा हटके झारखण्ड

रांची में दो दिवसीय होडोपैथी एथोनो मेडिसिन ( ट्राइबल मेडिसिन ) पर जागरूकता एवं कार्यशाला का आयोजन

राची, झारखण्ड | दिसम्बर  | 06, 2022 :: आज दिनांक 6 दिसंबर 2022 को नेशनल एससी – एसटी हब, एमएसएमई मंत्रालय, भारत सरकार, रांची कार्यालय के द्वारा जेसिया भवन, कोकर, रांची में दो दिवसीय होडोपैथी एथोनो मेडिसिन ( ट्राइबल मेडिसिन ) पर जागरूकता एवं कार्यशाला का आयोजन किया गया l
कार्यक्रम ट्राईबल इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री – महिला विंग एवं होडोपैथी एथोनो मेडिसिन डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सहयोग से किया गया l कार्यक्रम में तकरीबन 50 के आसपास विशेषज्ञ एवं प्रैक्टिशनर के अलावा आदिवासी उद्यमीगण भी मौजूद थे l कार्यक्रम में मुख्य रूप से तिरुवंतपुरम से आए हुए विशेषज्ञ – सह – वैज्ञानिक डॉ राधाकृष्णन जी, जाने-माने होडोपैथी विशेषज्ञ डॉ पीपी हेंब्रम, डॉ श्रीकांत प्रसाद, डेप्युटी डायरेक्टर -आयुष निदेशालय ,भारत सरकार, डॉ रश्मि, डॉ.वासवी किड़ो एवं प्रवीण नाथ शाहदेव नेशनल एससी एसटी हब के अधिकारी एवं मुख्य प्रबंधक किरण मारिया तिरु एवं प्रिंस राहुल उपस्थित थे l कार्यक्रम का उद्देश्य ट्राईबल मेडिसिन के प्रति लोगों में जागरूकता एवं उसके उद्यमिता पहलुओं को भी प्रकाश में लाना है l कार्यक्रम में डॉ. के. राधाकृष्णन (सेवानिवृत्त) प्रधान वैज्ञानिक, जवाहरलाल नेहरू ट्रॉपिकल बोटैनिकल गार्डन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, केरल और चार्ज स्टेट मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड, केरल के पूर्व सीईओ और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाने-माने एथ्नोबोटनिस्ट ने होडोपैथी सहित एथनोमेडिसिन के संरक्षण और प्रोत्साहन की आवश्यकता पर जोर दिया, क्योंकि यह न केवल “चिकित्सा की सभी प्रणालियों की जननी” है, बल्कि हमारे राष्ट्र और पूरे विश्व की अमूल्य धरोहर भी है। वर्तमान आयुष दवाओं की संहिताबद्ध प्रणालियों से युक्त है जो केवल आंशिक रूप से पारंपरिक हैं। वास्तविक पारंपरिक चिकित्सा या एथनोमेडिसिन “आदिवासी और लोक चिकित्सा” है। इसलिए वर्तमान आयुष का नाम बदलकर आयुष एंड टीएम कर दिया जाना चाहिए या पारंपरिक चिकित्सा के लिए आयुष मंत्रालय में एक अलग स्वतंत्र खंड बनाया जाना चाहिए।
एक अन्य महत्वपूर्ण बिंदु उन्होंने एक समझौता ज्ञापन के आधार पर किसान समूहों का उपयोग करने वाले आयुष उद्योगों के लिए आवश्यक औषधीय पौधों की खेती पर ध्यान केंद्रित किया ताकि किसानों को उचित मूल्य मिल सके और उद्योगों को वास्तविक कच्चा माल मिल सके। राज्य औषधीय पादप बोर्ड, केरल द्वारा क्रियान्वित “औषधीय पौधों की खेती का मट्टाथुर मॉडल” एक चमकदार उदाहरण है। मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित डॉक्टर राधाकृष्णन ने वर्तमान समय में ट्राईबल मेडिसिन के महत्व को बताते हुए कहा कि हमारे वनों में असीमित मेडिसिनल पौधों का भंडार है जहां से यदि हम इस पर अनुसंधान करें तो बड़ी से बड़ी बीमारियों का इलाज है हम सभी जानते हैं हमारी प्रकृति में ही हमारा इलाज भी छुपा है यह गुण आदिवासी समुदाय में आदि काल से पाया जाता है उन्होंने कहा कि हमारे गांव घर में जब हम बीमार पड़ते हैं तो कभी भी आधुनिक दवाइयों का सेवन नहीं करते हैं जंगलों में पाए जाने वाले जड़ी – बूटियों का सेवन कर हम लोग बिल्कुल स्वस्थ रहते हैं परंतु आधुनिकता के दौर में बीमारियों के साथ-साथ आधुनिक दवाइयों का दुष्परिणाम भी बढ़ा है परंतु कोरोना काल में लोगों को इसकी महत्ता समझ में आई है l आज का कार्यक्रम हमारी पद्धतियों को वैश्विक रूप देना एवं उससे उत्पन्न उद्यमिता के बारे में भी लोगों को जागरुक करना है
संस्था के द्वारा सरकार से कुछ मांगे भी रखी गई l
होडोपैथी को आयुष में सामिल किया जाए।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एथनो मेडिसिन की स्थापना की जाए।

होडोपैथी रिसर्च ट्रेड बिजनेस के लिए फंड एलोकेशन किया जाए।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से वीरेंद्र कुमार मांझी राम चंद्रकांता प्यारी किस्पोट्टा पाओलीना कुजूर एनी क्रिकेटर जोसेफिन सुरेन बुखारी मुर्मू संभल सिंह मुंडा उपस्थित थे l

Leave a Reply