राँची, झारखण्ड | सितम्बर | 02, 2018 :: देवनागरी लिपि में प्रथम शोध प्रबंध लिखनेवाले बेल्जियम मूल के रांचीवासी हिंदी के अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विद्वान और रामकथा मर्मज्ञ पद्मभूषण फादर कामिल बुल्के को झारखंड हिंदी साहित्य संस्कृति मंच की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई. मंच के संरक्षक जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद, सचिव सुनील सिंह बादल, संयुक्त सचिव सदानंद सिंह यादव, कोषाध्यक्ष सारिका भूषण, कार्यकारिणी सदस्यों असित कुमार, डॉ गीता सिन्हा, शिल्पी कुमारी और निरंजन श्रीवास्तव तथा अन्य लोगों ने उनके कार्यस्थल मनरेसा हाउस में प्रभारी फादर इमानुएल बाखला से उनकी साहित्यिक यात्रा के अनछुए प्रसंगो की चर्चा की और पूरे परिसर का परिभ्रमण किया.
उल्लेखनीय है कि मंच की ओर से हर वर्ष एक अहिंदीभाषी विद्वान को हिंदी की उल्लेखनीय सेवा के लिए फादर कामिल बुल्के सम्मान से सम्मानित किया जाता है. मंच के अधिकारियों ने मनरेसा हाउस यानी कामिल बुल्के शोध संस्थान के संचालकों से उनकी स्मृति में एक भव्य समारोह करने का प्रस्ताव दिया जिसे सहर्ष स्वीकार कर लिया गया.
