रांची, झारखण्ड । अगस्त | 31, 2017 :: नृत्य संगीत हमें संगठित होकर हर परिस्थिति का सामना करना सिखाते हैं। झारखंड के सारे त्योहार प्रकृति से जुड़े हैं। उक्त बातें राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कहीं। श्रीमती मुर्मू राजभवन के बिरसा मंडप में आयोजित करम पर्व पूर्व संध्या समारोह में बोल रही थीं।
उन्होंने कहा कि करम पर्व पूरे राज्य का त्योहार है। यह किसी एक समुदाय का त्योहार नहीं है।
करम पर्व की पूर्व संध्या पर राजभवन में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने एक बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि राज्य में 2018 से हर वर्ष झारखंड महोत्सव मनाया जायेगा। इसमें झारखंड की संस्कृति से पूरी दुनिया को अवगत कराया जायेगा।
उन्होंने कहा कि झारखंड की पहचान गीत, संगीत और नृत्य से है। लोग अपने दिनभर के काम की थकान नाच-गा कर दूर करते हैं। इसे बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने हर गांव में अखड़ा बनाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि सदियों के विदेशी शासन से भी हमारी संस्कृति बची रही है। हमारी परंपरा का संरक्षण और संवर्धन करना हमारा कर्त्तव्य है। हमें अपनी आनेवाली पीढ़ी को हमारी भाषा, संस्कृति और परंपरा सौंपनी है। सरकार ने इसे बढ़ावा देने के लिए राज्य की प्रतियोगिता परीक्षाओं में जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं को शामिल किया है। जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा और संस्कृति के शोध के लिए शोध संस्थान बनाने हेतु 3.58 करोड़ रुपये से नये भवन बानने की स्वीकृति प्रदान की है। कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने राज्य की नौ जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा में नृत्य पेश किया। कर्यक्रम में रंगारंग कार्यक्रम पेश करनेवाले सभी ग्रुप को 50-50 हजार रुपये देने की घोषणा की। कार्यक्रम में नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव एस के सत्पथी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार समेत अन्य लोग उपस्थित थे।