रांची , झारखण्ड | फरवरी | 11, 2020 :: सांसद श्री महेश पोद्दार ने कहा कि जनता से किये गए वादों और उनको निभाने के मामले में कांग्रेस और भाजपा में कोई तुलना नहीं हो सकती| कांग्रेस ये सोचकर वादे करती थी कि – “कसमे वादे, प्यार, वफ़ा, सब बातें हैं, बातों का क्या|” लेकिन भाजपा जनता से हर वादा यह सोचकर करती है कि – “जो वादा किया वो निभाना पडेगा|” श्री पोद्दार राज्यसभा में 2020 – 21 के बजट पर चर्चा के क्रम में अपने विचार रख रहे थे|
श्री पोद्दार ने कहा कि मोदी सरकार को अपने सभी वादे निभाने हैं इसीलिये बजट के माध्यम से इस सरकार ने सारे लक्ष्य मेजरेबल टर्म में तय किये हैं| यह बजट आम आदमी की आय और क्रयशक्ति बढ़ानेवाला, आकांक्षी भारत की समस्त आकांक्षायें पूरी करनेवाला, देश के संसाधनों पर जिनका वास्तविक अधिकार है उनके लिए विकास की बाध्यता पैदा करनेवाला और एक केयरिंग सोसायटी का निर्माण करनेवाला बजट है|
श्री पोद्दार ने बजट में झारखण्ड में आदिवासी संग्रहालय की स्थापना का प्रस्ताव किये जाने का स्वागत किया| उन्होंने इस प्रस्ताव की नुक्ताचीनी करनेवालों को करारा जवाब देते हुए कहा कि आदिवासियों की हितैषी होने का ढोंग करनेवाली कांग्रेस एवं उनके सहयोगियों ने झारखण्ड में 7 आदिवासियों के निर्मम नरसंहार के बावजूद सदन में इस मामले पर अपना मुंह नहीं खोला|
वरिष्ठ कांग्रेसी और पूर्व वित्त मंत्री श्री पी. चिदंबरम द्वारा देश की अर्थव्यवस्था को बीमार बताये जाने पर आपत्ति दर्ज कराते हुए श्री पोद्दार ने कहा कि उन्हें इस सदन को ये बताना चाहिए कि जब देश का सोना गिरवी रखा जा रहा था तब वे डॉक्टर कौन थे जो देश की अर्थव्यवस्था का इलाज कर रहे थे|
उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था का भविष्य उससे बेहतर कोई नहीं बता सकता, जिसका पैसा इसमें लगा है| जब मोदी सरकार ने कार्यभार सम्भाला था तो सेंसेक्स 17 हज़ार के आसपास था और अभी 41 हज़ार है, जो इस बात का सबूत है कि देश मज़बूत – इमानदार हाथों में है और देश की अर्तव्यवस्था पूर्णतः स्वस्थ है|
टैक्स टेररिज्म जैसे आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि देश को पता है कि किसके कार्यकाल में बोगस कम्पनियां बनाकर काला धन इकठ्ठा करने का अभियान चल रहा था| अब जबकि मोदी सरकार ने कड़ाई की है तो सारी गड़बड़ियां बाहर आ रही हैं|
बजट में पीपीपी मोड पर ख़ासा जोर दिया गया है| एक सोच है कि विकास प्रक्रिया में खर्च के प्रबंधन और पूंजी जुटाने के काम में निजी क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित की जाय| अबतक ये माना जाता था कि ये सब केवल सरकार की जिम्मेवारी है|
लघु एवं मध्यम उद्योगों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इन्हें हज़ार तरह की जटिलताओं में उलझाकर रखा जाता है| हमारी सरकार ने उनकी तकलीफ महसूस की है, उसका निदान किया है| MSMEs को विवादों से निकालने का रास्ता बनाया गया है, 1.89 लाख केस सलटे, 4.83 लाख अभी भी बाकी हैं| उन्हें भी निपटाने का रास्ता खोला गया है|
श्री पोद्दार ने डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (डीआईसीजीसी) के लिए डिपॉजिट इंश्योरेंस कवरेज बढ़ाकर एक लाख से पांच लाख किये जाने का स्वागत किया| उन्होंने कहा कि कोई ऐसा प्रयास किया जाय जिससे आयात-निर्यात को लेकर देश के कई न्यायालयों, ट्रिब्यूनल इत्यादि में लंबित मामलों का निपटारा जल्द से जल्द हो जाए।
श्री पोद्दार ने महाकवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की इन पंक्तियों के साथ अपना संबोधन समाप्त किया –
“नहीं नहीं प्रभु तुमसे
शक्ति नहीं मांगूंगा।
अर्जित करूंगा उसे, मरकर – बिखरकर
आज नहीं कल सही, आऊंगा उबरकर
कुचल भी गया, तो लज्जा किस बात की
रोकूंगा, पहाड़ गिरता
शरण नहीं मांगूंगा
नहीं नहीं प्रभु तुमसे
शक्ति नहीं मांगूंगा।