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भू- वैज्ञानिकों का सफ़र, अवसर के साथ चुनौतियाँ से भरा : मनोज कुमार, भूतत्व निदेशक

राची, झारखण्ड | मार्च | 16, 2024 ::
* संत जेवियर्स कॉलेज राँची को भूगर्भ विषयों पर परिसंवाद

संत जेवियर्स कॉलेज, राँची के भू विज्ञान व आईक्यूएसी एवं झारखंड राज्य खनिज विकास निगम के संयुक्त तत्वधान में “पत्थरों से संसाधनों तक: भू विज्ञान समझने की अंतर्दृष्टि” विषय पर कॉलेज सभागार में संगोष्ठी का आयोजन किया गया| कॉलेज के प्राचार्य डॉ. फ़ादर नबोर लकड़ा ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया| उद्घाटन सत्र में डॉ. नबोर लकड़ा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और अपने विचार साझा करते हुए बताया कि ईमानदारी से किया गया प्रयास कभी व्यर्थ नहीं जाता| विज्ञान विषयों में जितना हम अधिक प्रयास करेंगे उतना ही स्पष्ट निष्कर्ष निकालता है|

मौके पर आये अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. जयंत सिन्हा ने सबका परिचय पात्र कराया| कार्यक्रम में मुख्य अतिथि व वक्ता के रूप में उपस्थित खान एवं भूतत्व विभाग के निदेशक (भूतत्व) मनोज कुमार ने हरित गृह प्रभाव से होने वाली समस्या पर प्रकाश डालते हुए कहा कि किस प्रकार भारत चीन के बाद हरित गृह प्रभाव के उत्पादन में तीसरे स्थान पर आता है तथा समस्या का निदान बताते हुए कहा कि हमें जीवाश्म ईंधन से हरित श्रोतों की ओर बढ़ना है। भारत लिथियम जैसे खनिजों का भंडार है| कार्यक्रम में दुसरे वक्ता के रूप में उपस्थित पूर्व कुलपति डॉ. एस.पी. सिंह ने बोलते हुए बताया कि भूविज्ञान के छात्रों के हाथों में ही संसाधनों की कुंजी होती है| कार्यक्रम के तकनिकी सत्र में मुख्य वक्ता मनोज कुमार ने भविष्य के भू वैज्ञानिकों को अन्वेषण करने की तकनीक के चरण व मानदंड को विस्तृत रूप से समझाया | उन्होंने बताया कि मानक और मापदंड भूवैज्ञानिकों को अपडेट रखता है| उन्होंने जल जंगल जमीन पर भी जोर दिया| डॉ. एस. पी. सिंह ने पर्यावरणीय शांति के लिए खनन क्षेत्र में स्थिरता विषय पर बोलते हुए कहा कि पर्यावरण के बिना विकास असंभव है| संसाधनों का उपयोग हमें भविष्य की पीढ़ियों को ध्यान में रखते हुए उपयोग में लाना होगा| आमंत्रित वक्ता के रूप उपस्थित सीएमपीडीआई के पूर्व महाप्रबंधक आनंद वर्धन सहाय ने ग्लोबल वार्मिंग विषय पर बोलते हुए कहा कि शताब्दी का 2023 सबसे उष्मीय साल रहा है| विकास के साथ प्रदुषण में इजाफा हो रहा है इसके निराकरण के लिए उपायों को समझाया| भारतीय भू सर्वेक्षण(जीएसआई), झारखण्ड की निदेशिका देबाश्री प्रताप सिंह ने झारखण्ड एक जल, जंगल, जमीन से परिपूर्ण राज्य है| झारखण्ड में उपस्थित चट्टानों और उसके अवस्थित क्षेत्रों व उसकी उपयोगिता के बारे में बताया| प्राचार्य फ़ादर नबोर ने आये हुए सभी अतिथियों को शाल एवं स्मृति चिन्ह देकर उनका अभिवादन किया। पोस्टर प्रतियोगिता में ३५ टीम ने भाग लिया और अपनी प्रस्तुति से विभिन्न प्रकार के भौगोलिक कारकों को स्पष्ट किया । कार्यक्रम का समापन अध्यक्ष डॉ. जयंत सिन्हा ने किया|
मौके पर उप-प्राचार्य डॉ. फ़ादर प्रदीप रोबर्ट कुजूर, उप-प्राचार्य (इवनिंग) डॉ. फ़ादर अजय मिंज, परीक्षा नियंत्रक बी.के. सिन्हा, विभिन्न संकाय के विभागाध्यक्ष व कॉलेज के अन्य प्राध्यापकगण उपस्थित थे|

संत जेवियर्स कॉलेज, राँची के भू विज्ञान व आईक्यूएसी एवं झारखंड राज्य खनिज विकास निगम के संयुक्त तत्वधान में दिनांक: 16/03/2024 शनिवार को “पत्थरों से संसाधनों तक: भू विज्ञान समझने की अंतर्दृष्टि” विषय पर कॉलेज सभागार में संगोष्ठी का आयोजन किया गया| कॉलेज के प्राचार्य डॉ. फ़ादर नबोर लड़का ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया| उद्घाटन सत्र में डॉ. नबोर लकड़ा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और अपने विचार साझा करते हुए बताया कि ईमानदारी से किया गया प्रयास कभी व्यर्थ नहीं जाता| विज्ञान विषयों में जितना हम अधिक प्रयास करेंगे उतना ही स्पष्ट निष्कर्ष निकालता है|

मौके पर आये अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. जयंत सिन्हा ने सबका परिचय पात्र कराया| कार्यक्रम में मुख्य अतिथि व वक्ता के रूप में उपस्थित खान एवं भूतत्व विभाग के निदेशक (भूतत्व) मनोज कुमार ने हरित गृह प्रभाव से होने वाली समस्या पर प्रकाश डालते हुए कहा कि किस प्रकार भारत चीन के बाद हरित गृह प्रभाव के उत्पादन में तीसरे स्थान पर आता है तथा समस्या का निदान बताते हुए कहा कि हमें जीवाश्म ईंधन से हरित श्रोतों की ओर बढ़ना है। भारत लिथियम जैसे खनिजों का भंडार है| कार्यक्रम में दुसरे वक्ता के रूप में उपस्थित पूर्व कुलपति डॉ. एस.पी. सिंह ने बोलते हुए बताया कि भूविज्ञान के छात्रों के हाथों में ही संसाधनों की कुंजी होती है| कार्यक्रम के तकनिकी सत्र में मुख्य वक्ता मनोज कुमार ने भविष्य के भू वैज्ञानिकों को अन्वेषण करने की तकनीक के चरण व मानदंड को विस्तृत रूप से समझाया | उन्होंने बताया कि मानक और मापदंड भूवैज्ञानिकों को अपडेट रखता है| उन्होंने जल जंगल जमीन पर भी जोर दिया| डॉ. एस. पी. सिंह ने पर्यावरणीय शांति के लिए खनन क्षेत्र में स्थिरता विषय पर बोलते हुए कहा कि पर्यावरण के बिना विकास असंभव है| संसाधनों का उपयोग हमें भविष्य की पीढ़ियों को ध्यान में रखते हुए उपयोग में लाना होगा| आमंत्रित वक्ता के रूप उपस्थित सीएमपीडीआई के पूर्व महाप्रबंधक आनंद वर्धन सहाय ने ग्लोबल वार्मिंग विषय पर बोलते हुए कहा कि शताब्दी का 2023 सबसे उष्मीय साल रहा है| विकास के साथ प्रदुषण में इजाफा हो रहा है इसके निराकरण के लिए उपायों को समझाया| भारतीय भू सर्वेक्षण(जीएसआई), झारखण्ड की निदेशिका देबाश्री प्रताप सिंह ने झारखण्ड एक जल, जंगल, जमीन से परिपूर्ण राज्य है| झारखण्ड में उपस्थित चट्टानों और उसके अवस्थित क्षेत्रों व उसकी उपयोगिता के बारे में बताया| प्राचार्य फ़ादर नबोर ने आये हुए सभी अतिथियों को शाल एवं स्मृति चिन्ह देकर उनका अभिवादन किया। पोस्टर प्रतियोगिता में ३५ टीम ने भाग लिया और अपनी प्रस्तुति से विभिन्न प्रकार के भौगोलिक कारकों को स्पष्ट किया । कार्यक्रम का समापन अध्यक्ष डॉ. जयंत सिन्हा ने किया|
मौके पर उप-प्राचार्य डॉ. फ़ादर प्रदीप रोबर्ट कुजूर, उप-प्राचार्य (इवनिंग) डॉ. फ़ादर अजय मिंज, परीक्षा नियंत्रक बी.के. सिन्हा, विभिन्न संकाय के विभागाध्यक्ष व कॉलेज के अन्य प्राध्यापकगण उपस्थित थे|

 

 

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