रांची, झारखण्ड | मई | 31, 2022 :: समाजसेवी सह एनएसएस स्वयंसेवक दीपक गुप्ता के द्वारा विश्व तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर तंबाकू के खतरों और स्वास्थ्य पर इसके नकारात्मक प्रभावों के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के साथ-साथ निकोटीन व्यावसाय और तंबाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों और मौतों को कम करने के उद्देश्य से एक संगोष्टी का आयोजन कांके रोड़,विवि परिसर में किया गया। वर्तमान में अधिकांश बीमारियों की वजह तंबाकू है। इसके कारण 25 तरह की बीमारियां और लगभग 40 प्रकार का कैंसर हो सकता है। इसमें मुंह, गले, फेफड़े, प्रोस्टेट और पेट का कैंसर प्रमुख हैं। इसके अलावा ब्रेन ट्यूमर भी तंबाकू के प्रयोग के कारण होता है। तंबाकू के धुएं से 500 हानिकारक गैसें एवं 7000 अन्य रासायनिक पदार्थ निकलते हैं, जिनमें निकोटीन और टार प्रमुख हैं। सिगरेट की तुलना में बीड़ी पीना ज्यादा नुकसानदायक होता है। हमारे देश में महिलाओं की अपेक्षा पुरुष अधिक धूम्रपान करते हैं। जब कोई धूम्रपान करता है तो बीड़ी या सिगरेट का धुआं उसको पीने वाले के फेफड़ों में 30 फीसद जाता है व आसपास के वातावरण में 70 फीसद रह जाता है। इससे परिवार के लोग और धूमपान करने वालों के आसपास के लोग प्रभावित होते हैं। इसके अतिरिक्त विश्वभर में होने वाली मृत्यु में 50 फीसद मौतों का कारण धूम्रपान है। धूम्रपान का सीधा असर फेफड़ों में पड़ता है। इससे रक्त संचार, ब्लड प्रेशर और सांस फूलने की बीमारी होती है। धूम्रपान से होने वाली प्रमुख बीमारियों में ब्रांकाइटिस, एसिडिटी, टीबी, हार्ट अटैक, फालिज, नपुंसकता, माइग्रेन, बालों की सफेदी, असमय बालों का गिरना आदि समस्याएं शामिल हैं।
तंबाकू का नशा करने वाले लोगों को तंबाकू के सेवन से होने वाली स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से अवगत कराने और पूरी दुनिया में तंबाकू का सेवन पूरी तरह रोकने के लिए लोगों को बढ़ावा देने के मकसद से हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है।
आपको बता दें कि 31 मई साल 1987 को सबसे पहली बार पूरी दुनिया में विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया गया था, इसके बाद इस दिवस के मनाए जाने के महत्व को समझते हुए इसे हर साल मनाया जाने लगा।
दीपक गुप्ता ने लोगो को संवोधित करते हुए कहा कि आजकल युवाओं में तंबाकू का सेवन करना एक फैशन और स्टेटस सिंबल बन गया है। जिसके चलते कुछ लोग सिगरेट, बीड़ी, गुटखा, जर्दा, खैनी, हुक्का, चिलम आदि का सेवन सिर्फ दिखावे और शौक के चलते कर रहे हैं, हालांकि बाद में यह उनकी आदत में शामिल हो जाता है, जिसका उन्हें बुरा परिणाम भुगतना पड़ता है। इसके अलावा कई लोग ऐसे भी हैं, जो तनाव को कम करने के लिए अपने बुरे दौर में तंबाकू/सिगरेट का सेवन करने लगते हैं,हालांकि इससे तनाव तो कम नहीं होता लेकिन व्यक्ति को इसकी लत लग जाती है और फिर उसे स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए *विश्व तंबाकू निषेध दिवस के माध्यम से लोगों को इसके दुष्परिणामों के बारे में जागरूक किया जा रहा है*, ताकि लोग तंबाकू से बने पदार्थों का सेवन न करें। वहीं ऐसा नहीं है कि जिन लोगों को एक बार तंबाकू के सेवन करने की लत लग गई, वो इसे छोड़ नहीं सकता है। हां शुरुआती दिनों में थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन अगर व्यक्ति चाहे तो धीरे-धीरे इस जानलेवा आदत को बदल सकता है और जीवन भर स्वस्थ रह सकता है।