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मेडिका हॉस्पिटल में पूर्वी भारत के पहले दुर्लभ रोगी की सफल सर्जरी

राची, झारखण्ड | जून | 22, 2024 ::

कुदरत के करिश्मे अद्भुत और दुर्लभ होते हैं। भगवान महावीर सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, रांची में हाल ही में एक अतिदुर्लभ मरीज़ की जटिल सर्जरी सफलतापूर्वक संपन्न हुई।

जनरल सर्जरी विभाग के कंसल्टेंट सर्जन डॉ. गौतम चंद्र के पास रामगढ़ से एक 60 वर्षीया महिला गॉल ब्लाडर में स्टोन की शिकायत लेकर पहुंची। इस महिला की गिनती मेडिकल जगत में अतिदुर्लभतम श्रेणी में होती है, जिसे साइटस इन्वर्टिस टोटलिस कहा जाता है। इस स्थिति में रोगी के अंदरूनी सभी अंग विपरीत दिशा में होते हैं। महिला का ह्रदय, लिवर, गॉल ब्लाडर और आंतें सभी विपरीत दिशा में हैं। इसके अतिरिक्त, रोगी क्रोनिक माइलॉयड ल्यूकेमिया से भी पीड़ित है, जिसका इलाज मेडिका के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. गुंजेश कुमार सिंह द्वारा किया जा रहा है।

सर्जन डॉ. गौतम चंद्र ने बताया कि रोगी की पित्त की थैली दाहिनी की जगह बायीं तरफ थी। पित्त की थैली के स्टोन की जाँच के बाद डॉ. गौतम चंद्र प्रकाश ने लेप्रोस्कोपिक विधि से सर्जरी करने का निर्णय लिया। इस प्रकार की शारीरिक स्थिति के साथ यह दुनिया का 50वां ऑपरेशन और पूर्वी भारत का पहला ऑपरेशन था। लेप्रोस्कोपिक प्रणाली में 180 डिग्री का बदलाव कर सर्जरी करना जटिलतम श्रेणी में आता है।

सर्जरी सफलतापूर्वक संपन्न हुई और रोगी वर्तमान में फॉलोअप में है। क्रोनिक ल्यूकोमिया का इलाज मेडिका में जारी है और सर्जरी के बाद रोगी स्वस्थ है।
भगवान् महावीर सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, रांची में हुई इस जटिल सर्जरी ने मेडिकल जगत में एक नया मानक स्थापित किया है और भविष्य में ऐसी जटिल परिस्थितियों में मरीजों के इलाज की संभावनाओं को और मजबूत किया है।

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