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सिख पंथ के छठे गुरु श्री हरगोबिंद सिंह महाराज के पावन प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में विशेष दीवान

रांची , झारखण्ड | जून | 18, 2019 ::

गुरुद्वारा श्री गुरु नानक सत्संग सभा द्वारा कृष्णा नगर काॅलोनी गुरुद्वारा साहिब में सिख पंथ के छठे गुरु श्री हरगोबिंद सिंह महाराज के पावन प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में आज 18 जून, मंगलवार को सुबह 8 बजे से विशेष दीवान सजाया गया.

हजूरी रागी भाई महिपाल सिंह जी और साथियों ने आसा दी वार कीर्तन कर विशेष दीवान की शुरुआत की.दीवान की शुरुआत से पहले रविवार से आरंभ हुए श्री अखंड पाठ साहिब जी की समाप्ति हुई.मुख्य ग्रंथी ज्ञानी जेवेंदर सिंह जी ने मीरी-पीरी के मालिक गुरु हरगोबिंद सिहं जी महाराज के जीवन दर्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 1595 में अमृतसर के वडाली में गुरु अरजन देव जी महाराज के घर 14 वर्ष बाद बाबा बुड्डा के आर्शीवाद से जन्में गुरु ने ऐसे कारनामे कर डाले कि सिखी के इतिहास पुरुष बन गए.

तत्पश्चात भाई महिपाल सिंह जी एवं साथियों ने  “जमया पूत भगत गोबिंद का

प्रगटया सभ मै लिखया धुर का……….” एवं “वडी आरजा हरगोबिंद की

सुख मंगल कल्याण विचारया…….

“शबद गायन किया.

श्री अनंद साहिब जी के पाठ,अरदास,हुक्मनामा एवं कढ़ाह प्रसाद वितरण के साथ सुबह 10.45 बजे विशेष दीवान की समाप्ति हुई.मंच संचालन मनीष मिढ़ा ने किया.सभा के मीडिया प्रभारी नरेश पपनेजा ने बताया कि इस अवसर पर सत्संग सभा द्वारा मिस्सी रोटी के प्रसाद,प्याज और रायता का लंगर चलाया गया.इसमें सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु़ शामिल हुए.

आज के दीवान में जयराम दास मिढ़ा,हरविंदर सिंह बेदी,सूंदर दास मिढ़ा,द्वारका दास मुंजाल,ऋषिकेश गिरधर,चरणजीत मुंजाल,नरेश पपनेजा,जीवन मिढ़ा,मोहन लाल काठपाल,अर्जुन दास मिढ़ा,रामकृष्ण मिढ़ा, अमरजीत गिरधर,हरगोबिंद सिंह,सुरेश मिढ़ा,हरीश मिढ़ा,बिनोद सुखीजा,अनूप गिरधर,बसंत काठपाल,प्रेम सुखीजा,लेखराज अरोड़ा, रमेश पपनेजा,वेद प्रकाश मिढ़ा, लक्ष्मण दास मिढ़ा,अशोक गेरा,अजय धमीजा,हरजीत मक्कड़,अशोक मुंजाल,आशु मिढ़ा, पवनजीत खत्री,गुलशन मिढ़ा,मोहन लाल अरोड़ा, रमेश गिरधर,जितेंद्र मुंजाल,लक्ष्मण सरदाना,राजेन्द्र मक्कड़, कवलजीत मिढ़ा समेत अन्य शामिल हुए.

*मिस्सी रोटी के लंगर का इतिहास-*

जब गुरु अर्जुनदेव जी को बहुत समय तक सन्तान की प्राप्ति नहीं हुई, तो उन्होंने अपनी पत्नी माता गंगादेवी को बाबा बुड्ढा से आशीर्वाद लेकर आने को कहा.माता गंगादेवी तरह-तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाकर अपने सेवकों के साथ सवारी में बैठकर बाबा जी के पास गयी.बाबा बुड्ढा ने कहा कि मैं तो गुरुओं का दास हूं,आशीर्वाद देने की क्षमता तो स्वयं गुरु जी में ही है.यह सुनकर माता जी निराश होकर खाली हाथ वापस लौट गई.जब गुरु अर्जुनदेव जी को यह पता लगा, तो उन्होंने पत्नी को समझाया.अगली बार गुरुपत्नी मिस्सी रोटी, प्याज और लस्सी लेकर नंगे पांव गयीं, तो बाबा बुड्ढा ने हर्षित होकर भरपूर आशीष दी, जिसके प्रताप से हरगोविन्द जी जैसा तेजस्वी बालक उनके घर में जन्मा.तब से बाबा बुड्ढा के जन्मदिवस पर उनके जन्मग्राम कथू नंगल में बने गुरुद्वारे में मिस्सी रोटी, प्याज और लस्सी का लंगर ही वितरित किया जाता है.

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