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बैंको की वैधानिक अंकेक्षण का कार्य काफी दायित्वपूर्ण – सीए अनुज गोयल

रांची, झारखण्ड  | मार्च  | 26, 2022 :: दी इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया की ऑडिटिंग एंड एस्सूरेन्स बोर्ड्स , नई दिल्ली के द्वारा आज होटल रेनडीयू , रांची में “बैंक ब्रांच ऑडिट” पर चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के लिए एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया |

इस सेमिनार के आरम्भ में इंस्टिट्यूट के केंद्रीय परिषद् के सदस्य और इस सेमिनार के डायरेक्टर सीए अनुज गोयल ने अपने संबोधन में कहा कि आज पुरे विश्व में भारत के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की उनकी शिक्षा प्रणाली, प्रायोगिक ट्रेनिंग और मेहनत के कारण महत्वपूर्ण प्रतिष्ठा है।  आज पुरे विश्व में इंस्टिट्यूट की 40 देशों में कार्यालय कार्यरत है। हमारे चार्टर्ड एकाउंटेंट्स पुरे विश्व विभिन्न क्षेत्रों के बड़े बड़े कंपनियों में कार्यरत है। और यह भी महत्वपूर्ण है कि जिस भी कंपनी में चार्टर्ड एकाउंटेंट्स कार्यरत हैं उस कंपनी कि डूबने कि चांस काफी काम होती है।  चार्टर्ड एकाउंटेंट्स अपने सेवाओं के माध्यम से कर संग्रहण, निवेश आदि से देश की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका है।  और यह गर्व की बात है कि आज़ादी के बाद देश कि सबसे बड़ी कर सुधार ” जी एस टी एक्ट” का आरम्भ भारत सरकार के द्वारा हम चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के स्थापना दिवस कार्यक्रम में इंस्टिट्यूट के प्लेटफॉर्म पर 1st  जुलाई, 2017 को किया गया।  चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के लिए बैंक की वैधानिक ऑडिट काफी दायित्वपूर्ण कार्य है, इस अंकेक्षण के द्वारा रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया को बैंको के पुरे वर्ष के क्रियाकलाप के बारे में सूचनायें मिलती है जिसके द्वारा रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया को आगे बैंको के क्रियाकलाप के लिए नए दिशानिर्देश बनाने में महत्वपूर्ण होती है I

सेमिनार के प्रथम सत्र में रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के द्वारा बैंको के लिए बनाये गए IRAC नॉर्म्स जो बैंको के सम्पतिओं के वर्गीकरण और इनकम के पहचान के सम्बन्ध में उपस्थित चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को जानकारी देते ग़ाज़ियाबाद के विशेषज्ञ वक्ता सीए अनघ गुप्ता कहा की हम चार्टर्ड एकाउंटेंट्स का प्रोफेशन एक दायित्वपूर्ण प्रोफेशन है और आज बैंको की जो हालत है उसमे हमें इनकी वैधानिक अंकेक्षण के लिए काफी सावधानी बरतनी होती है | विशेषकर बैंको के परिसम्पतियों की वर्गीकरण जिसमे लोन के एवज में गिरवी रखी परसम्पत्तियां आदि महत्वपूर्ण है | जिन भी परिसम्पत्तिययों पर हमें संदेह हो उसपर अच्छी तरह जाँच के बाद पूर्ण संतुष्टि के बाद ही रिपोर्ट देना चाहिए | साथ ही बहुत से बैंकों के द्वारा साल के इस समय NPA से बचने के लिए तरह तरह के उपाय करके लोन अकाउंट को सही दिखाने का प्रयास किया जाता है ऐसी स्तिथि में हम चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को उन अकाउंट पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है | सीए अनघ गुप्ता ने बैंको के परिसम्पतियों के वर्गीकरण और नॉन-परफार्मिंग एसेट्स को जांचने के बहुत से आसान विधियों को बताया |

सेमिनार के दूसरे तकनिकी सत्र में बैंको कि वैधानिक अंकेक्षण रिपोर्ट से सम्बंधित LFAR रिपोर्ट्स और इसके प्रावधानों पर विस्तार से परिचर्चा करते हुए स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया, नई दिल्ली के पूर्व ए जी एम् श्री सुनील कुमार लूथरा ने कहा कि LFAR रिपोर्ट भरने से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए कहा कि इसके हर कॉलम को अच्छे से समझ कर भरनी चाहिए।  क्यों यह वैधानिक अंकेक्षण का महत्वपूर्ण भाग है और एक अंकेक्षक के रूप में चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इस LFAR रिपोर्ट पर बैंक के पुरे वर्ष के कार्यों और उसकी खामियों को रेंखांकित करता है जिसके बल पर रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया बैंको से सम्बंधित नए नियम बनती है।  उन्होंने LFAR रिपोर्ट से सम्बंधित रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के महत्वपूर्ण प्रावधानों पर विस्तार से जानकारी दिया।

इंस्टिट्यूट के रांची शाखा के अध्यक्ष सीए प्रभात कुमार ने कहा की इस सेमिनार का आयोजन का उद्देश्य चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को बैंको की वैधानिक ऑडिट से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी देना है, ताकि उन्हें इन जानकारियों की मदद से बैंको के वैधानिक अंकेक्षण में काफी सहूलियत हो सके | सीए प्रभात कुमार ने कहा की हमें बैंको की वैधानिक अंकेक्षण के लिए काफी काम समय मिलता है लेकिन फिर भी हम तकनिकी और अपने जानकारी के बल पर समयसीमा के अंदर अच्छी तरह यह दायित्वपूर्ण कार्य कर सकते है | साथ ही उन्होंने कहा कि आज 20 करोड़ से अधिक एडवांस वाले बैंको का सिर्फ वैधानिक अंकेक्षण होती है जिसके कारण देश के अधिकतर बैंको में वैधानिक अंकेक्षण कि अनिवार्यता समाप्त होने से सभी बैंको कि कार्यप्रणाली उनके एडवांस आदि का सही प्रदर्शन देश के समक्ष नहीं हो पता।  इसीलिए रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया को पहले की तरह हर बैंक की वैधानिक अंकेक्षण की कार्य करनी चाहिए।

इस सेमिनार को सेंट्रल इंडिया रीजनल कौंसिल की सदस्य सीए मनीषा बियानी ने भी सम्बोधित की।

इंस्टिट्यूट के रांची शाखा के सचिव सीए अभिषेक केडिया ने सेमिनार के अंत में अपने धन्यवाद ज्ञापन में उपस्थित चार्टर्ड विशेषज्ञ वक्ताओं को धन्यवाद् देते हुए कहा की इस सेमिनार हुए परचर्चा हमें बैंकों कि वैधानिक अंकेक्षण में काफी सहायता पहुंचाएगी। इस सेमिनार का सञ्चालन सीए शालिनी राजगढ़िया ने किया।  इस सेमिनार के आयोजन में रांची शाखा के उपाध्यक्ष सीए पंकज मक्कड़, सी पी इ कमिटी की अध्यक्षा सीए श्रद्धा बाग्ला,  कोषध्यक्ष सीए हरेन्दर भारती और सीए निशांत मोदी का महत्वपूर्ण योगदान था।

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