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विभिन्न आदिवासी संगठनों द्वारा 16 को जलाया जाएगा हेमंत सरकार का पुतला :: जानिए कया है कारण 

रांची, झारखण्ड  | जनवरी । 14, 2023 :: शनिवार को विभिन्न आदिवासी संगठनों की एक बैठक राष्ट्रीय आदिवासी समाज सरना धर्म रक्षा अभियान के तत्वावधान में संपन्न हुई ।बैठक में सर्वसम्मति से कई प्रस्ताव पारित किए गए बैठक में आदिवासी सामाजिक संगठन राजी पाड़हा सरना प्रार्थना सभा, केंद्रीय सरना समिति, झारखंड आदिवासी संयुक्त मोर्चा, राष्ट्रीय आदिवासी छात्र संघ, सरना धर्म सोतो: समिति खूंटी, केंद्रीय सरना संघर्ष समिति रांची सहित कई संगठनों के सदस्य उपस्थित थे। प्रस्ताव में कहा गया है कि निबंध की संविदा नियुक्ति में एस टी, एस सी के आरक्षण का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन है। वर्तमान गठबंधन की सरकार के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से निवेदन किया गया है कि इस तरह की भयंकर गलती कभी ना करें अन्यथा राज्य में आदिवासियों का आंदोलन होगा। आंदोलन के क्रम में सोमवार 16 जनवरी 2023 को तीन बजे जयपाल सिंह स्टेडियम में सभी संगठनों के प्रतिनिधि जमा होंगे और मशाल जुलूस के साथ अल्बर्ट एक्का चौक में सरकार का पुतला दहन किया जाएगा। राज्य सरकार के अधीन विभिन्न स्तरीय सेवा संवर्ग बैकलॉग हजारों वैकेंसी आरक्षित वर्गों का है। बैकलॉग वैकेंसी का आकलन किया जाए और उसके विरुद्ध नियुक्ति प्रक्रिया शुरू किया जाए। अखबारों में आशा लकड़ा जो रांची की मेयर सहित भाजपा की नेत्री हैं उनका बयान सरना धर्म कोड के विषय में आया है वह आदिवासियों को दिग्भ्रमित करने वाला है। श्रीमती लकड़ा को मालूम होना चाहिए कि 11 नवम्बर 2020 को विधानसभा से पारित हुआ है और भाजपा के विधानसभा सदस्यों ने भी अपना समर्थन दिया है और सर्वसम्मति से सरना धर्म कोड पारित हुआ है। डॉ श्रीमती लकड़ा को यह जानकारी होनी चाहिए कि 2011 की जनगणना में अन्य धर्म कॉलम में देश भर से 79 लाख लोगों ने अपना अपना धर्म दर्ज किया है, जिनमें देश भर से 49.57 लाख लोगों ने अपना धर्म सरना दर्ज किया है जो जैन धर्म से कहीं अधिक है। डॉक्टर श्रीमती लाकड़ा को यह भी मालूम होना चाहिए कि झारखंड में 2011 की जनगणना में अन्य धर्म कॉलम में 42 लाख 35 हजार लोगों ने अन्य धर्म कॉलम में अपना अपना धर्म दर्ज किया जिसमें से 41 लाख 31 हजार लोगों ने अपना धर्म सरना धर्म दर्ज किया है जिसमें पूरा मुंडा हो संथाल और झारखंड के लगभग सभी जनजाति समुदाय ने दर्ज किया है। यह संख्या 97% है। उड़ीसा मैं 2000 की जनगणना में सरना धर्म दर्ज करने वालों की संख्या 4 लाख 33 हजार और पश्चिम बंगाल 4 लाख 32 हजार है। सरना धर्म को देश के 21 राज्यों में प्रभावी ढंग से अपनाई गई है। इसे मात्र छोटा नागपुर का कहना, भ्रम पैदा करना है। सभा में यह भी कहा गया कि डॉक्टर आशा लकड़ा की बातों को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है क्योंकि वह आर एस एस की भाषा बोल रही है।
4- झारखंड कार्यसमिति की बैठक में कांग्रेस ने सरना कोड की बात कही है, यह स्वागत योग्य है। परंतु कांग्रेस से निवेदन है कि इस मसले को कांग्रेस की केंद्रीय कार्यसमिति दिल्ली में रखी जाए तत्पश्चात कांग्रेस की भावना को केंद्र सरकार एवं राष्ट्रपति के सामने रखी जाए तो बड़ी बात होगी।झारखंड मुक्ति मोर्चा और मुख्यमंत्री से निवेदन है जिस तरह से विधानसभा में सरना धर्म कोड की प्रस्ताव को पारित किया गया है और राज्य की जनता के सामने एक सकारात्मक पहल किया है आगे के दिन में हम उम्मीद करते हैं कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार केंद्र सरकार और राष्ट्रपति के सामने स्पष्ट रूप से सरना कोड की वकालत करें।
बैठक में सर्वश्री नारायण उरांव, अमर उरांव, शिवा कच्छप, प्रभात तिर्की, रेणु तिर्की, रायमुनि किस्पोट्टा, सुमन खलखो, निर्मल पाहन, रंजीत उरांव, अस्मितमन तिर्की, अर्पित तिर्की आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।

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