Precautions and safety are the strong medium to be protected from diseases
Breaking News Latest News झारखण्ड लाइफस्टाइल

सतर्कता और बचाव बीमारी से बचने का सशक्त माध्यम: वैद्यनाथ मिश्र

Precautions and safety are the strong medium to be protected from diseases

लोहरदगा , झारखण्ड | फरवरी | 05, 2020 :: विज्ञान प्रसार से मान्यता प्राप्त भास्कर एस्ट्रो एसोसिएशन लोहरदगा के तत्वावधान में पांच फरवरी को विश्व कैंसर दिवस और कुष्ठ निवारण सप्ताह कार्यक्रम के तहत जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। भास्कर एस्ट्रो एसोसिएशन लोहरदगा के सचिव वैद्यनाथ मिश्र ने उपनगरीय क्षेत्र पतराटोली स्थित एसपी मुखर्जी सरस्वती शिशु मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में बच्चों को कैंसर जैसे घातक बीमारी और उसके निवारण के उपाय बताएं। श्री मिश्र ने कहा कि इसके बचाव के लिए जीवन के हर स्तर पर स्वच्छता पर हमें ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कुष्ठ चर्म रोग है। यह विपरीत खान-पान की वजह से होता है। मांस- मछली के साथ कभी भी दूध और दही का सेवन नहीं करना चाहिए। ताउम्र स्वस्थ रहने के उपाय भी उन्होंने बताया। खून की कमी को स्वयं से जांचने परखने की सरल और सहज विधि बताई गई। चार श्रेणी के तहत खून की कमी को हम अपने घर में दर्पण के समक्ष जांच सकते हैं। इसमें सामान्य, रक्त की थोड़ी कमी, रक्त की कमी और रक्त की अधिक कमी को दर्शाने की विधि और रंग बताएं गया। खुन की कमी दूर करने के लिए बच्चों को स्थानीय स्तर पर पाए जाने वाले फुटकल की साग और मूली की साग के अत्यधिक उपयोग करने पर बल दिया गया। घर की सफाई के लिए आवश्यक जानकारी दी गई। घर के साथ-साथ बाहर के वातावरण को भी स्वच्छ रखने पर बल दिया गया। घर में उपयोग होने वाले शौचालय की नियमित सफाई करने की बात कही गई। मच्छरों के नियंत्रण के लिए घर के आस-पास तुलसी और गेंदा के फूल लगाने पर जोर दिया गया। कचरे का उपघटन (निस्तारण) को लेकर जानकारी दी गई।
श्री मिश्र ने कहा कि फूल पत्ती और फलों के छिलके करीब एक महीने में सड़ गल जाता है।मिट्टी का हिस्सा बन जाता है। कपड़े को गले में करीब एक वर्ष का समय लगता है। वही चमडे के जूते चप्पल को गलने में करीब 30 से 40 वर्ष लगते हैं।
पॉलिथीन, एलईडी बल्ब और ट्यूब लाइट को गलने में करीब दस लाख साल लग जाते हैं। जूस के कंटेनर को निस्तारित होने में करीब 300 साल लगते हैं। मोबाइल और कंप्यूटर का उपघटन होता ही नहीं है। इसलिए जरूरी यह है, कि हम कचरे को सोच समझ कर फेंके, क्योंकि इसके उपघटन में वर्षों का समय लग जाता है।
बच्चों को राष्ट्रीय अध्यापक पुरस्कार प्राप्त सेवानिवृत्त शिक्षक वैद्यनाथ मिश्र ने प्राकृतिक रूप से जल के शुद्धिकरण करने की विधि बताई। उन्होंने कहा कि बीजों से जल का शुद्धिकरण किया जा सकता है। 40 लीटर पानी में 30 सहजन (मुनगा) के बीच को चूर कर तीन से पांच मिनट तक अगर हम छोड़ देंगे, तो पानी प्रकृति रूप से शुद्ध हो जाएगा। इसके अलावा इलायची, कटका और धान भूषे से भी पानी को शुद्ध करने की विधि से उन्होंने रूबरू कराया। इस मौके पर भास्कर एस्ट्रो एसोसिएशन के सलाहकार दीपक कुमार मुखर्जी मौजूद थे। बच्चों से घर जाकर विधि के प्रयोगात्मक उपायों को करने के साथ आसपास के लोगों और परिजनों को इसकी जानकारी देने का आह्वान किया गया।

Leave a Reply