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रांची के धनंजय कुमार की पेंटिंग्स से सजा दिल्ली का नवनिर्मित झारखण्ड भवन

राची, झारखण्ड  | सितम्बर   04, 2024 ::

रिकॉर्ड साइज़ की यह पेंटिंग किसी भी इमारत पर बनी ये आज तक की सबसे बड़ी और ऊंचाई लगभग 110 फीट से बनाई गई 70 x 44 फीट की झारखण्ड की सोहराई पेंटिंग है

24 वर्षों के बाद झारखंड को अपना नया भवन मिला | दिल्ली स्थित बांग्ला साहिब रोड में झारखंड भवन का उद्घाटन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किया | जहां यह इमारत अपने आधुनिक और भव्यता के लिए जाना जाएगा साथ ही साथ यह भवन झारखंड की लोक कला को एक नई पहचान और सम्मान मिलेगी |

इस इमारत मैं झारखंड की लोक कला चारों ओर दिखेगी | जहां परिसर के अंदर लगभग 200 से ऊपर झारखण्ड की लोककला आधारित पेंटिंग्स दिखती है साथ ही साथ परिसर के बाहरी दीवार पर लगभग 3100 स्क्वायर फीट की एक भव्य सोहराई पेंटिंग नजर आती है | जिसको रांची के युवा चित्रकार धनंजय कुमार ने मूर्त रूप दिया है l जिन्होंने अपनी कलाकारी से इस बिल्डिंग की खूबसूरती में चार चांद लगा दिए हैं l ये पेंटिंग अपने आप में ही एक रिकॉर्ड है | किसी भी इमारत पर बनी ये आज तक की सबसे बड़ी और ऊंचाई लगभग 110 फीट से बनाई गई 70 x 44 फीट की झारखण्ड की सोहराई पेंटिंग है l

इस पेंटिंग को बनाने में धनंजय कुमार और उनकी टीम को लगभग 20 दिनों का समय लगा ।
110 फीट की ऊंचाई पर बारिश के मौसम और तेज धूप सब सहते हुए कलाकारों ने इतनी बड़ी पेंटिंग बनाई जो आज इस बिल्डिंग की पहचान बनी l पेंटिंग को कई किलोमीटर दूर से भी देखा जा सकता है | इसके अलावा परिसर के अंदर लगभग 200 से अधिक पेंटिंग लगायी गयी है, जिन्हें बनाने में लगभग डेढ़ महीने का समय लगा जिसमें 40 कलाकारों ने अपना योगदान दिया l

इससे पहले भी धनंजय कुमार की बनाई हुई पेंटिंग्स विभिन्न परिसरों में लगाई गई है जैसे मुख्ता झारखंड हाई कोर्ट , मुख्यमंत्री कार्यालय, राजकीय म्यूजियम, पर्यटन विहार आदि स्थानों मे सजाई गई है l

धनंजय कुमार रांची डोरंडा के रहने वाले हैं और विगत 23 वर्षों से कलाकृति स्कूल आफ आर्ट चलते हैं जहां बच्चों को पेंटिंग सिखाई जाती है | धनंजय कुमार ने बी आई टी मेसरा रांची से सॉफ्टवेयर इंजीनियर किया हैं एवं इन्होंने कई साल तक बैंक में नौकरी भी की है | इन्हें अबतक 130 से अधिक अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है और महामहिम श्रीमती द्रौपदी मुर्मू (पूर्व राज्यपाल, झारखंड), झारखंड के कई मुख्यमंत्री और कई राज्य और केंद्रीय मंत्रियों के द्वारा इन्हें समानित किया जा चूका है |

धनंजय कुमार ने झारखण्ड की लोक कला को बच्चों और नयी पीढ़ी तक पहुँचाने का काम कर रहे हैं | इन्होने अब तक 50 से अधिक लोक चित्रकला शिविर लगा कर प्रशिक्षण देने का काम किया है | इन्होने सैंकड़ों निर्धन प्रतिभावान छात्राओं को निशुल्क प्रशिक्षण देकर अपने इस कार्य से जोड़ा है और कला के माध्यम से रोजगार दिलाने का काम कर रहे हैं | साथ ही साथ इनके द्वारा बाल कैदियों को भी निशुल्क प्रशिक्षण दिया गया है जिससे आज कई बाल कैदी चित्रकला को अपना पेशा अपना कर समाज की मुख्यधारा में जुड़ रहे है |

 

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