राची, झारखण्ड | नवम्बर | 29, 2024 ::
दिल्ली के बंगला साहिब रोड में नए झारखण्ड भवन पर बनाई गयी सोहराई पेंटिंग बरबस ही वहां से गुजरने वालों को दूर से ही आकर्षित करती है | भवन पर बनी सोहराई पेंटिंग झारखंड की लोक कला को एक नई पहचान दे रही है | जिसको मूर्त रूप दिया है रांची के प्रख्यात युवा चित्रकार धनंजय कुमार ने | धनंजय कुमार के द्वारा दिल्ली के झारखण्ड भवन के ऊपर बनाई गयी सोहराई पेंटिंग ने एक और कीर्तिमान बना लिया है, इंडिया बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में स्थान बना कर | इनके द्वारा बनाई गयी सोहराई पेंटिंग किसी भी इमारत पर बनी ये आज तक की सबसे बड़ी और ऊंचाई लगभग 110 फीट से बनाई गई 69 x 44 फीट की सोहराई पेंटिंग रिकॉर्ड बुक में दर्ज हो गयी है l इंडिया बुक ऑफ़ रिकार्ड्स की टीम ने रिकॉर्ड के सत्यापन के बाद रिकॉर्ड की प्रमाणपत्र मेडल एवं बुक देकर धनंजय कुमार को सम्मानित किया |
ज्ञात हो की 24 वर्षों के बाद झारखंड विगत 3 सितम्बर 2024 नए झारखण्ड भवन का उद्घाटन झारखण्ड के माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन के कर कमलों से हुआ था | माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन इस पेंटिंग को देख वह काफी प्रभावित हुए थें l
इस पेंटिंग को बनाने में धनंजय कुमार को लगभग 20 दिनों का समय मे लगा | 110 फीट की ऊंचाई पर बारिश के मौसम और तेज धूप सब सहते हुए इतनी बड़ी पेंटिंग बनाई जो आज इस बिल्डिंग की पहचान बन गयी है l पेंटिंग को कई किलोमीटर दूर से भी देखा जा सकता है | इसके अलावा परिसर के अंदर लगभग 200 से अधिक पेंटिंग लगायी गयी है, जिन्हें बनाने में लगभग डेढ़ महीने का समय लगा जिसमें 40 कलाकारों ने अपना योगदान दिया l
इससे पहले भी धनंजय कुमार की बनाई हुई पेंटिंग विभिन्न परिसरों में लगाई गई है जैसे नए झारखंड हाई कोर्ट , मुख्यमंत्री कार्यालय, राजकीय म्यूजियम, पर्यटन विहार आदि स्थानों मे सजाई गई है एवं इनके कई देशों में भी इनकी पेंटिंग के खरीदार हैं |
धनंजय कुमार रांची डोरंडा के रहने वाले हैं और विगत 24 वर्षों से कलाकृति स्कूल आफ आर्ट चलते हैं जहां बच्चों को पेंटिंग सिखाई जाती है | धनंजय कुमार ने बी आई टी मेसरा रांची से सॉफ्टवेयर इंजीनियर क्या हैं एवं उन्होंने कई साल तक बैंक में नौकरी भी की है | इन्हें अब तक 130 से अधिक अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है और महामहिम श्रीमती द्रौपदी मुर्मू (पूर्व राज्यपाल, झारखंड), झारखंड के कई मुख्यमंत्री और कई राज्य और केंद्रीय मंत्रियों के द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है |
बचपन से ही पेंटिंग के तरफ लगाओ रहता था वर्ष 2001 में इन्होंने अपनी पेंटिंग स्कूल की स्थापना की थी और 2014 में अपने बैंक की नौकरी छोड़कर पुनः पेंटिंग स्कूल को पुनः स्थापित कर प्रशिक्षण देने का कार्य कर रहे | आज उनके पास बच्चे राज्य के अलग-अलग जिलों से आते हैं | साथ ही साथ ये ऑनलाइन क्लास के माध्यम से 12 देशों के बच्चों को ऑनलाइन पेंटिंग शिक्षा दे रहे हैं ।
धनंजय कुमार ने झारखण्ड की लोक कला को बच्चों और नयी पीढ़ी तक पहुँचाने का काम कर रहे हैं | इन्होने अब तक 50 से अधिक लोक चित्रकला शिविर लगा कर प्रशिक्षण देने का काम किया है | इन्होने सैंकड़ों निर्धन प्रतिभावान छात्राओं को निशुल्क प्रशिक्षण देकर अपने इस कार्य से जोड़ा है और कला के माध्यम से रोजगार दिलाने का काम कर रहे हैं | साथ ही साथ इनके द्वारा बाल कैदियों को भी निशुल्क प्रशिक्षण दिया गया है जिससे आज कई बाल कैदी चित्रकला को अपना पेशा अपना कर समाज की मुख्यधारा में जुड़ रहे है |