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55 एकड़ भूमि में स्थापित होगा माता सीता का मंदिर : स्वामी सांदीपेंद्र जी महाराज

* काउंसिल को उपलब्ध हुई भूमि, मंदिर-निर्माण की घोषणा शीघ्र
•55 एकड़ भूमि में स्थापित होगा मां सीताजी का भव्य मंदिर,
•30 एकड़ भूमि उपलब्ध हो चुकी है, 25 एकड़ की उपलब्धता पर हो रही बातचीत,
•काउंसिल के अध्यक्ष ने कहा, वह स्वयं सीतामढ़ी आकर निर्माण स्थल और कार्य के प्रारूप की जानकारी देंगे,
•चुनाव के बाद शीघ्र ही वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर करेंगे भूमि-पूजन का आग्रह।

(स्वामी सांदीपेंद्र जी महाराज)

स्वामी दिव्यानंद जी महाराज, (राष्ट्रीय संत संरक्षक मंडल एवं झारखंड प्रदेश के संयोजक) ने एक आवश्यक विज्ञप्ति जारी कर यह कहा कि
रामायण रिसर्च काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री श्री 1008 परमहंस स्वामी सांदीपेंद्र जी महाराज ने कहा है कि मां सीताजी के प्राकट्य क्षेत्र सीतामढ़ी में मां सीताजी की भव्य प्रतिमा एवं उन्हें भवगती के रूप में स्थापित करने के लिए काउंसिल को 30 एकड़ भूमि उपलब्ध हो गई है, साथ ही 25 एकड़ भूमि को लेकर बातचीत अंतिम चरण में है। उन्होंने कहा कि कुछ ही दिनों में यह प्रक्रिया पूरी होते ही वह स्वयं सीतामढ़ी आकर मंदिर-निर्माण कार्य के स्थान, कार्य के चरण एवं प्रारूप की घोषणा करेंगे। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव समाप्त होते ही वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस विषय पर भेंट करेंगे और सीतामढ़ी में उक्त स्थल के भूमि-पूजन हेतु प्रस्ताव भी रखेंगे।
मध्य प्रदेश में नलखेड़ा स्थित मां बगलामुखी सिद्धपीठ प्रांगण के संत व काउंसिल के अध्यक्ष ने कहा, ‘वह लंबे समय से सीतामढ़ी में मां सीताजी की 251 फीट ऊंची प्रतिमा तथा संबंधित क्षेत्र को तीर्थ, पर्यटन एवं शक्ति के रूप में स्थापित करने को लेकर पहल कर रहे थे। इस निमित्त भूमि की उपलब्धता एक बड़ा विषय था, जिस पर लगातार पहल के बाद काउंसिल को सफलता प्राप्त हुई है’।
उन्होंने ज़ोर देकर बताया कि वह शुरू से मां सीताजी को भगवती के रूप में स्थापित करना चाहते थे, इसलिए काउंसिल के अंतर्गत ‘श्रीभगवती सीता तीर्थ क्षेत्र समिति’ गठित की गई जो इसका निर्माण कार्य देखेगी। उन्होंने कहा कि हम पहले से कहते आए हैं कि काउंसिल के तत्वावधान में 51 शक्तिपीठों से मिट्टी और जल लाएंगे, नलखेड़ा से मां पीताम्बरा जी का ज्योत लाएंगे और श्रीलंका, इंडोनेशिया, बाली समेत उन सभी स्थानों से मिट्टी व जल लाएंगे, जहां से भगवान श्रीराम और मां जानकी जी का नाता रहा है। उन्होंने कहा कि उन्हें प्रसन्नता है कि आज काउंसिल अपने उद्देश्य की ओर तेजी से अग्रसर हो रही है।
काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा, ‘वर्ष 2018 में जब उन्होंने सीतामढ़ी में काउंसिल के तत्वावधान में इस प्रयास की शुरूआत की थी, तब मां सीताजी को लेकर बस बातें ही होती थीं, आज काउंसिल की लगातार पहल के बाद कई संस्थाएं जागृत हुई हैं तो इसे सकारात्मक रूप में लिया जाना चाहिए। हाल में बिहार सरकार भी इस ओर सजग हुई है, उन्हें इसका बहुत हर्ष है’।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग काउंसिल से ही प्रेरित होकर मां सीताजी को भगवती के रूप में स्थापित करने की सलाह भी दे रहे हैं, जो स्वागत-योग्य है और यह काउंसिल की सतत जागरूकता का ही परिणाम है। उन्होंने कहा कि जितने मंदिर बने, हमारे सनातन के लिए उनता ही अच्छा है। इससे इतर, उन्होंने कहा, ‘‘हर तरफ से प्रयास होता रहे, लेकिन काउंसिल का जो अपना संकल्प है, उसे हर हाल में पूरा करना उनके जीवन का लक्ष्य है’’।
आपको बता दें कि काउंसिल के ही पहल पर अयोध्या में प्रभु श्रीराम मंदिर निर्माण से जुड़े आर्किटेक्ट आशीष सोमपुरा भी सीतामढ़ी विजिट कर चुके हैं और विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार भी काउंसिल के प्रकल्प को हरसंभव सहयोग की घोषणा कर चुके हैं।
काउंसिल के इस विषय को वर्तमान सांसद सुनील कुमार पिंटू ने हाल में संसद में भी उठाया था। श्री पिंटू पूर्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलकर इस पूरे विषय की जानकारी दे चुके हैं और इस भव्य मंदिर के निर्माण हेतु भूमि-पूजन का आग्रह कर चुके हैं। वहीं अयोध्या में रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरी जी महाराज को भी काउंसिल की ओर से कई बार इस विषय से अवगत कराया गया तथा उनका मार्गदर्शन प्राप्त किया जाता रहा है।

काउंसिल के कार्यालय से जानकारी दी गई कि संस्था ने कुछ दिनों पूर्व ही सभी समितियों एवं कमेटियों को भंग कर दिया था एवं काउंसिल के मुख्य मार्गदर्शक रहे श्री श्री 1008 परमहंस स्वामी सांदीपेंद्र जी महाराज को अपना नया अध्यक्ष चुना था। काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि वह शीघ्र ही सभी समितियों का नए सिरे से गठन करेंगे तथा पूरे देशभर में काउंसिल का विस्तार करेंगे।

 

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