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सिख पंथ के छठे गुरु श्री हरगोबिंद सिंह महाराज का प्रकाश पर्व का यूट्यूब पर लाइव प्रसारण

रांची , झारखण्ड | जून | 06, 2020 ::कोरोना से संबंधित गाइड लाइन का पालन करते हुए गुरुद्वारा श्री गुरु नानक सत्संग सभा द्वारा सिख पंथ के छठे गुरु श्री हरगोबिंद सिंह महाराज का प्रकाश पर्व बिना साध संगत के मनाया गया,यूट्यूब पर हुआ लाइव प्रसारण और लंगर भी पहुंचाया गया श्रद्धालुओं के घर .

गुरुद्वारा श्री गुरु नानक सत्संग सभा द्वारा कृष्णा नगर काॅलोनी गुरुद्वारा साहिब में सिख पंथ के छठे गुरु श्री हरगोबिंद सिंह महाराज के पावन प्रकाश पर्व आज 6 जून,शनिवार को शाम 6.30 बजे से दीवान सजाया गया.
दीवान की शुरुआत शाम 6.30 बजे श्री रहरास साहिब जी के पाठ से हुई.हजूरी रागी जत्था भाई महिपाल सिंह जी एवं साथियों ने “जमया पूत भगत गोबिंद का
प्रगटया सभ मै लिखया धुर का……….” एवं “वडी आरजा हरगोबिंद की
सुख मंगल कल्याण विचारया…….
“शबद गायन किया.
मुख्य ग्रंथी ज्ञानी जेवेंदर सिंह जी ने मीरी-पीरी के मालिक गुरु हरगोबिंद सिहं जी महाराज के जीवन दर्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 1595 में अमृतसर के वडाली में गुरु अरजन देव जी महाराज के घर 14 वर्ष बाद बाबा बुड्डा के आर्शीवाद से जन्में गुरु ने ऐसे कारनामे कर डाले कि सिखी के इतिहास पुरुष बन गए.
श्री अनंद साहिब जी के पाठ,अरदास,हुक्मनामा एवं सुखासन के साथ रात 9 बजे दीवान की समाप्ति हुई.
सभा के मीडिया प्रभारी नरेश पपनेजा ने बताया कि लॉक डाउन में सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन का पालन करते हुए प्रकाश पर्व बिना साध संगत के मनाया गया और संगत के लिए कार्यक्रम का लाइव प्रसारण शाम 6.30 बजे से रात 9 बजे तक यूट्यूब के मेरे साहेब चैनल पर किया गया.इस अवसर पर सत्संग सभा द्वारा मिस्सी रोटी और प्याज के आचार का लंगर गुरुनानक सेवक जत्था के सदस्यों द्वारा श्रद्धालुओं के घर घर जाकर पहुंचाया गया.सारी प्रक्रियाओं में सोशल डिस्टेनसिंग का पूरा ख्याल रखा गया.
गुरुनानक सत्संग सभा के अध्यक्ष हरविंदर सिंह बेदी ने समूह साध संगत को प्रकाश पर्व की बधाई दी.

मिस्सी रोटी के लंगर का इतिहास-

जब गुरु अर्जुनदेव जी को बहुत समय तक सन्तान की प्राप्ति नहीं हुई, तो उन्होंने अपनी पत्नी माता गंगादेवी को बाबा बुड्ढा से आशीर्वाद लेकर आने को कहा.माता गंगादेवी तरह-तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाकर अपने सेवकों के साथ सवारी में बैठकर बाबा जी के पास गयी.बाबा बुड्ढा ने कहा कि मैं तो गुरुओं का दास हूं,आशीर्वाद देने की क्षमता तो स्वयं गुरु जी में ही है.यह सुनकर माता जी निराश होकर खाली हाथ वापस लौट गई.जब गुरु अर्जुनदेव जी को यह पता लगा, तो उन्होंने पत्नी को समझाया.अगली बार गुरुपत्नी मिस्सी रोटी, प्याज और लस्सी लेकर नंगे पांव गयीं, तो बाबा बुड्ढा ने हर्षित होकर भरपूर आशीष दी, जिसके प्रताप से हरगोविन्द जी जैसा तेजस्वी बालक उनके घर में जन्मा.तब से बाबा बुड्ढा के जन्मदिवस पर उनके जन्मग्राम कथू नंगल में बने गुरुद्वारे में मिस्सी रोटी, प्याज और लस्सी का लंगर ही वितरित किया जाता है.

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