आलेख़

पछतावा छोड़, खुश रहना सीखें : गुड़िया झा

पछतावा छोड़, खुश रहना सीखें।
गुड़िया झा।
हम में से अधिकांश लोग किसी न किसी बात का पछतावा लेकर लंबे समय तक बैठ जाते हैं और अपनी वर्तमान खुशियों से बहुत दूर हो जाते हैं। बीते हुए अतीत की बातों को बार-बार याद कर हम परेशान और क्रोधित हो जाते हैं। जिसका नतीजा यह होता है कि हमें अपने आसपास सबकुछ नकारात्मक दिखाई देने लगता है। लोगों से हमारे रिश्ते बिगड़ने लगते हैं और हमारा दायरा छोटा होता जाता है। इस बात को हमेशा ध्यान में रखें कि जो बीत गई सो बात गई। अब उसका रोना रोने से कोई फायदा नहीं। वर्तमान में जो खुशियां हैं उसे ही पूरे जोश के साथ बितायें बिना ये सोचें कि लोग क्या कहेंगे।
1, हमेशा सकारात्मक सोचें।
खुद को सबसे ज्यादा खुश रखने का तरीका यह है कि हमेशा सकारात्मक सोच बनायें रखें। भले ही आसपास का वातावरण कितना ही दूषित क्यों न हो?
“आप भला तो जग भला”। खुशियां पैसों से नहीं खरीदी जा सकती हैं। ये हमारे भीतर की उपज है। अगर हमारी सोच सही है तो तय मानें कि आसपास का वातावरण कितना भी दूषित क्यों न हो उसका हमारे ऊपर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पर सकता हैं। सही समय पर भोजन और भरपूर नींद अवश्य लें। अच्छे लोगों की संगति और नकारात्मक लोगों से दूरी बनाते हुए हम अपने रास्ते को सही मंजिल की ओर ले जा सकते हैं।
2, समय की उपयोगिता।
ईश्वर ने हम सभी के लिए समान रूप से एक दिन में 24 घंटे का ही निर्धारण किया गया है। अब यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि उन 24 घंटों को हम किस रूप में उपयोग करें।
अनावश्यक गॉसिप, शिकायतें और फिजूल की सोच पाल कर हम अपना अधिकांश समय इधर उधर ही बिताते हैं। जबकि इसके अनुकूल हम इस समय का सदुपयोग नयी चीजें सीखने जिससे कि स्वयं के साथ साथ दूसरों का भी भला हो। इंटरनेट की जानकारी, अपनी आय बढ़ाने के स्रोतों के बारे में जानकारी हासिल करना और उस दिशा में पूरी ईमानदारी के साथ आगे बढ़ना आदि ऐसे कई कार्य हैं जिससे हमारे जीवन को सही दिशा मिल सकती है। आज तक जितने भी व्यक्ति सफल हुए हैं उन्होंने धीरे धीरे इन 24 घंटों में ही अपनी सफलता की कहानी लिखी है।
3, अपनी प्राथमिकताएं तय करना।
जीवन में खुश रहने के लिए हमें अपनी प्राथमिकताएं भी तय करनी होगी। कई बार ऐसा होता है कि जल्दीबाजी और दिखावे के कारण हम अपनी प्राथमिकताओं पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। जिसके कारण हमारी फिजूलखर्ची की आदतें बढ़ती जाती हैं। नतीजा हम धीरे धीरे अपने आपको कमजोर महसूस करने लगते हैं। अपनी फिजूलखर्ची की आदतों पर अंकुश लगा कर हम प्राथमिकताओं पर ध्यान दें तो आने वाले समय में हमें परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
एक बात तो तय है कि पैसा हमारी आवश्यकता को अवश्य पूरी करता है लेकिन हर समय इसके खर्च की अधिकता हमारे बजट को भी बिगाड़ती है। कभी कभी हम ऐसी चीजों की खरीदारी भी कर लेते हैं जिसकी हमें जरूरत नहीं होती है।

Leave a Reply