रांची , झारखण्ड | जून | 27, 2019 ::
झारखण्ड में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम को प्राप्त ऋण 2017-18 में 33% बढोतरी के साथ रू.10,897
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वित्त मंत्री का राज्य सभा सांसद परिमल नथवाणी को प्रत्युत्तर
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अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एस.सी.बी.) द्वारा झारखण्ड में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एम.एस.एम.ई.) को दिए गये बाकी ऋण नाणाकीय वर्ष 2016-17 में रू.8,192 करोड से बढके नाणाकीय वर्ष 2017-18 में रू.10,897 करोड पर पहूंचा, जो 33% की वृध्धि दर्शाता है। झारखण्ड में एस.सी.बी. से ऋण सुविधा प्राप्त करनेवाले एम.एस.एम.ई. खातों की संख्या 2016-17 में 2.36 लाख थी जो 2017-18 में 2.42 लाख हुई। केन्द्रीय नाणांमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारामन ने यह जानकारी राज्य सभा में जून 25, 2019 को सांसद श्री परिमल नथवाणी द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में उपलब्ध बनाई।
मंत्रीजी ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई) और सरकार ने एमएसएमई तक ऋण की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए निम्न लिखित कदम उठाए हैः
· सूक्ष्म और लघु उद्यमों (एमएसई) को ऋण में वर्ष-दर-वर्ष 20 प्रतिशत की वृद्धि प्राप्त करना के लिए सुझाव
· सूक्ष्म उद्यम खातों की संख्या में 10 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि करना
· मांग में अप्रत्याशित/मौसमी वृद्धि के कारण उत्पन्न होने वाली अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए अतिरिक्त कार्यशील पूंजी सीमा
· एक समूह को अपनाना, प्रत्येक जिले में कम से कम एक विशेषज्ञता प्राप्त एमएसएमई शाखा चलाना
· 5 करोड़ रुपए तक की उधार सीमाओं के लिए इकाई के अनुमानित वार्षिक टर्नओवर का न्यूनतम 20 प्रतिशत प्राप्त करने के लिए एमएसई इकाईयों की कार्यशील की पूंजी की संगणना का सरलीकरण
· व्यापार प्राप्ति भुनाई प्रणाली (टीआरईडीएस) की स्थापना करने के लिए ऋणों में वर्ष-दर-वर्ष 20 प्रतिशत की वृद्धि प्राप्त करने की अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) को सलाह दी है ताकि एमएसएमई आदि को भुगतान में देरी की समस्या का निपटान किया जा सके ।
श्री परिमल नथवाणी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) संस्थागत स्त्रोतों से ऋण सुविधाएं प्राप्त करने में आ रही अड़चनों, सूक्ष्म और मध्यम उद्यमों तीन वर्षों के दौरान संवितरित ऋण, क्या बैंक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों से अधिक ब्याज दरे वसूल रहे हैं और कतिपय बैंक व्याज दरों में कटौती का लाभ सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र को नहीं देते है कि नहीं उसके बारे में जानना चाहते थे।
मंत्रीजी ने अपने निवेदन में यह भी बताया कि संस्थागत स्त्रोतों से ऋण प्राप्ति में बाधाओं के संबंध में सरकार को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) से समय-समय पर शिकायतें/अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं । इनमें, अन्य बातों के साथ-साथ, संपार्श्विक पर जोर, ऋण की मंजूरी में देरी, अपेक्षित राशि की तुलना में अपेक्षाकृत कम ऋण राशि और व्याज की उच्चतम दर प्रभारित करने आदि के संकेत मिले हैं ।