आलेख़ विदेश

इतिहास में आज :: फ्रेंच गणितज्ञ, भौतिकविद एवं धार्मिक फिलोस्पर ब्लेज पास्कल का जन्म [ 19 जून 1623 ]

जून | 19, 2017 :: अपने पिता को अंको से झुझते देखकर पास्कल के मस्तिष्क में कैलकुलेटर बनाने का विचार आया। उन्होंने पास्कलीन नमक पहला यांत्रिक कैलकुलेटर तैयार किया। गणित में उसके द्विपद गुणांको की गणना के लिए पास्कल त्रिभुज की रचना की और उन गुणांको के बीच गणितीय संबध स्थापित किये। उन्होंने केवल 12 वर्ष की आयु में ही अपने पिता को सिद्ध कर दिखाया कि किसी भी त्रिभुज के तीनो अन्त: कोणों का योग हमेशा दो समकोणों अर्थात 90 डिग्री के बराबर होता है |

फ्रेंच गणितज्ञ, भौतिकविद एवं धार्मिक फिलोस्पर ब्लेज पास्कल का जन्म 19 जून 1623 को हुआ था। बचपन से ही पास्कल शारीरिक रूप से कमजोर थे और अक्सर बीमार रहते थे। उसकी सेहत को देखते हुए उसके पिता उसे गणित से दूर रखना चाहते थे किंतु उसकी रूचि देखकर उन्होंने उसे गणित पढने की इजाजत दे दी थी | उनके पिता सरकारी नौकरी करते थे।
पास्कल ने यह सिद्ध करके दिखा दिया था कि तरल पदार्थ के एक बिंदु पर लगाया गया बल सभी दिशाओं पर समान रूप से स्थानातरित हो सकता है | उनका यह नियम “पास्कल नियम ” से प्रसिद्ध हुआ | इसी पास्कल के नियम के आधार पर रुई की बड़ी बड़ी गांठो को दबाने के लिए हाइड्रोलिक दाब पम्प अविष्कृत किये गये तथा हाइड्रोलिक ब्रेक एवं इंजेक्शन लगाने की सिरिंज आदि का निर्माण किया गया।
19 वर्ष की आयु में उन्होंने गणितीय गणना करने वाली मशीन बना डाली। उनकी यह मशीन गीयर और पहियों पर चलती थी। इससे पिता का जोड़ घटाने का काम सरल हो गया। उन्होंने पुत्र को पेटेंट कराया पर बहुत कीमती होने के कारण इसका अधिक प्रसार न हो सका। उनके इसी माड्ल की प्रथम व्यावसायिक मशीन बनाने क श्रेय अमेरिका के इंजिनियर बरोज को जाता है जिन्होंने सन 1892 ईस्वी में कैलकुलेटिंग मशीन बना डाली |
ब्लेज पास्कल अपने समय के महान गणितज्ञ थे। उन्होंने एक ऐसा त्रिभुज अविष्कृत किया जिसमे विभिन्न संख्याओं में पंक्तिया दी गयी। कई बार अपनी रिसर्च इसलिए बीच में रोक दी क्योंकि उसके विचार में ईश्वर उसके कार्य से खुश नही था। कई बार उसके गणितीय हल के अंत में लिखा कि ईश्वर ने इसका हल स्वयं उसके स्वप्न में बताया है। इस महान गणितज्ञ ने 39 साल की उम्र में गणित और विज्ञान को काफी कुछ दे दिया। पेट के ट्यूमर से लड़ रहे पास्कल ने 19 अगस्त 1662 को अपनी बहन के घर में दुनिया को अलविदा कह गए।

आलेख: कयूम, लोहरदगा।

Leave a Reply