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कोराना काल में होम्योपैथी का अहम रहा योगदान : डॉ राजीव कुमार

होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति है जो समानता के आधार पर काम करती हैं! इसके जनक सैम्यूल हैनिमैन है जिन्होंने इसकी शूरुआत 1796 मे जर्मनी मे हूई थी! यह सिमिलिया सिमिलीबस क्यूरेन्टर के सिद्धांत पर काम करता है !इसका मतलब यह है कि होम्योपैथी उस बिमारी को ठीक कर सकती है जिन्हें वह उत्पन्न करने की क्षमता रखती हैं! होम्योपैथी पद्धति में चिकित्सा का मुख्य कार्य रोगी द्वारा बताए गए जीवन इतिहास एवं रोगों के लक्षण को सुनकर उसी प्रकार के लक्षण उत्पन्न करने वाली औषधि का चुनाव करना है! रोग लक्षण और औषधि लक्षण के बीच जितने अधिक समानता होगी रोगी के स्वस्थ होने की संभावना उतनी ही अधिक रहती है! पुराने और कठिन रोगों की चिकित्सा के लिए रोगी और चिकित्सक दोनों के लिए धैर्य की आवश्यकता होती है! होम्योपैथी जटिल से जटिल रोगों को ठीक करने की क्षमता रखता है और उसे दोबारा नही होने देता है! हमारे जीवन में होम्योपैथी का एक अलग महत्व है होम्योपैथी दूसरे पैथी से अलग है! होम्योपैथी हर रोग को जड़ से खत्म कर करती है !इसमें लक्षण के आधार पर दवाइयां दी जाती है जिसमें बीमारी के कारण को ठीक किया जाता है !अगर यह पता चल जाए की रोग किस कारण से हो रहा है और वह कारण वह अगर ठीक हो जाए तो रोगी रोग मुक्त हो जाएगा !होम्योपैथी में बीमारी का नहीं बल्कि रोगी का इलाज होता है! यह एक सुरक्षित चिकित्सा पद्धति है जिसके कोई दुष्प्रभाव नहीं है !
आज होम्योपैथी हर बीमारी में कारगर है होम्योपैथी आज बहुत तरीके के सर्जिकल बीमारी को भी बिना सर्जरी के ठीक कर रहा है !जैसे पित्त पथरी जिसका बिना ऑपरेशन कोई इलाज नहीं था आज होम्योपैथी उसे बिना सर्जरी के निकाल दे रही है जो होम्योपैथी के लिए अनोखी बात है!इसके अलावा आज किडनी की समस्या बहुत अधिक देखने को मिल रही है उस पर भी होम्योपैथी बहुत हद तक अपनी सफलता दिखा रही है !बच्चों में देखा जाए तो जो बच्चे आज ऑटिज्म से ग्रसित हैं जो बच्चे बोल नहीं सकते, जो बच्चे लिख नहीं सकते, जो बच्चे चल चल नहीं सकते, आज होम्योपैथी के मदद से वह बच्चों ने बोलना शुरू किया है, उन बच्चों ने लिखना शुरू किया है ,उन्हें एक नया जीवन होम्योपैथी के माध्यम से ही मिला है, जो होम्योपैथी को एक न ई पहचान दे रही है! कोराना काल में होम्योपैथी का अहम योगदान रहा,लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में होम्योपैथी दवाई आर्सेनिक एल्बम 30 का एलोपैथिक दवाईयों से आगे बढ़कर असर किसी से छुपा नहीं है!अब हम पुरे भरोसे से यह कह सकते है कि होम्योपैथी के बिना हमारा जीवन अधुरा है! आने वाले कल मे हर घर मे हर सदस्य होम्योपैथी से अपने आपको स्वस्थ रखेगा!
होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति से सभी प्रकार के एलर्जी जैसे कोल्ड एलर्जी स्किन एलर्जी गठिया थायराइड साइटिका पाइल्स साइनस माइग्रेन माउथ अल्सर ऑटिज्म बांझपन किडनी रोग मिर्गी आंखों के रोग स्त्री संबंधित रोग प्रोस्टेट फिस्टुला यूरिन संबंधित रोग सभी का इलाज हो पैथिक में है इस पैथी में रोगन एक पर डॉक्टर एक होते हैं क्योंकि एक ही डॉक्टर के द्वारा सभी प्रकार के बीमारियों का इलाज हो जाता है आज विश्व में आधुनिक चिकित्सा पद्धति के बाद होम्योपैथिक ही ऐसी पद्धति है है जिससे सबसे ज्यादा अपनाया जाता है। प्रायः देखा जाता है कि जब सभी जगह से मरीज निराश होकर लौटते हैं तब वह हो पैथिक में आप इलाज करा कर उनके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और बिना किसी साइड इफेक्ट के इस पैथी में इलाज आप किसी भी बीमारी का लंबे समय तक करा सकते हैं। होम्योपैथी को यदि एक लाइन में कहना हो तो होम्योपैथिक में मरीज का इलाज होता है बीमारी का नहीं यदि मरीज के सारे लक्षण को ठीक कर दिया जाए तो स्वत: ही ठीक हो जाता है।

डॉ राजीव कुमार

बी.एच.एम.एस. (बी यू)

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