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मनुष्य के लिए स्वास्थ्य शरीर ही सबसे महत्वपूर्ण सम्पति :: सीए अतुल महरोत्रा

राची, झारखण्ड  | दिसम्बर  | 09, 2022 ::  दी इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया, रांची शाखा के द्वारा आज ” स्वाथ्य जागरूकता श्रृंखला” के तहत ” कार्डियक अरेस्ट और कोविड के बाद के लक्षण पर जागरूकता और बेसिक लाइफ सपोर्ट के उदहारण और सीपीआर का ट्रेनिंग” पर मेदांता हॉस्पिटल रांची के सहयोग से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस कार्यशाळा के मुख्य अतिथि और इंस्टिट्यूट के सेंट्रल इंडिया रीजनल कौंसिल के अध्यक्ष सीए अतुल महरोत्रा, कानपूर में अपने सम्बोधन में कहा कि मनुष्य के लिए स्वास्थ्य शरीर ही सबसे महत्वपूर्ण सम्पति है। यदि शारीरिक रूप से हम स्वास्थ्य नहीं हों तो हमें किसी भी तरह कि धन सम्पति या अन्य वैभव सुखी नहीं दे सकता। और इस कारण हमें अपने आप को स्वाथ्य रखने के लिए अपने खान – पान, कार्य और आराम का समय पर विशेष ध्यान देनी चाहिए। साथ ही साथ अपने रोजमर्रा के दिनचर्या में व्यायाम और योगा को महत्वपूर्ण रूप से शामिल करना चाहिए।

इस कार्यशाळा के पहले सत्र को सम्बोधित करते हुए मेदांता हॉस्पिटल रांची के एसोसिएट कार्डियोलॉजिस्ट डॉ मुकेश कुमार अग्रवाल ने कहा कि कोविड से रिकवर होने के बाद भी बड़ी संख्या में लोगों की शिकायतें आ रही हैं कि उनके बाल बहुत झड रहे हैं या शरीर की कमजोरी ठीक नहीं हो रही है. डायबिटीज के मरीजों में शुगर का लेवल अनियंत्रित होना या स्ट्रेस और डिप्रेशन बढ़ना भी इसका आम साइड इफ़ेक्ट देखा गया है| ऐसी अवस्था में आपको समय समय पर जाकर विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए और उनके अनुसार अपनी जीवनशैली में बदलाव लाने चाहिए। साथ ही एक शोध के अनुसार जिन लोगों को कोविड संक्रमण के चलते अस्पताल में भर्ती कराया जाता है, उनमें दिल की धड़कनें रुकने की संभावना 21 गुना और स्ट्रोक आने की संभावना 17 गुना ज्यादा होती है। ऐसे में यह ज़रूरी है कि आप अपने खानपान और स्वास्थ्य का ध्यान रखें एवं समय-समय पर ज़रूरी जांच करवाते रहें।

दूसरे सत्र में मेदांता हॉस्पिटल रांची के क्रिटिकल केयर के एसोसिएटेड डायरेक्टर और हेड डॉ तापस कुमार साहू ने बेसिक लाइफ सपोर्ट का ट्रेनिंग देते हुए बताया कि अगर कोई हादसे में घायल हो जाए या चलते-चलते सड़क पर बेहोश होकर गिर जाए तो किसी भी व्यक्ति को उसका जान बचाने के लिए बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) का ज्ञान होना जरूरी है। मौके पर घायल को सीधा लिटा दें। उसकी नब्ज देखें, गर्दन की नाड़ी, नाक पर हाथ लगा देखें कि उसकी सांसें चल रही हैं। इसके बाद उसकी छाती खत्म होने व पेट शुरू होने वाली जगह पर अपने एक हाथ की हथेली पर दूसरे हाथ को रख कर उसे प्रेस करें। एक मिनट में 100 से 120 बार ऐसा करें। इसके बाद उसे अस्पताल पहुंचा दें। इसी प्रकार सीपीआर आपातकालीन समय में जान बचाने हेतु किये जाने वाले प्रक्रिया है। जिसमे मुंह से साँस देना और सीने को दबाना जान बचाने हेतु एक महत्वपूर्ण उपाय है लेकिन इसके लिए हमें बेसिक जानकारी होना आवश्यक है। डॉ तापस साहू ने जीवंत प्रयोग के द्वारा सीपीआर कि विधि सिखाया।

इस कार्यशाला के उघाटन में इंस्टिट्यूट के रांची शाखा के अध्यक्ष सीए प्रभात कुमार ने सबका स्वागत करते हुए कहा कि हम प्रोफेशनल कार्य के दबाव में अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक नहीं रह पाते हैं। साथ ही जानकारी के अभाव में बचाव कि आसान विधि होने के बाबजूद वक्त में किसी को मदद पहुंचने में असमर्थ पाते है। इस कार्यशाळा में मिलने वाली जानकारी के द्वारा न केवल हम अपने आप को स्वाथ्य रख सकते हैं अपितु आवश्यकता पड़ने पर लोगों की जान भी बचा सकते हैं।

इस कार्यशाला के माध्यम से उपस्थित चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को सम्बोधित करते हुए सेंट्रल इंडिया रीजनल कौंसिल के सदस्य सीए मनीषा बियानी ने कही कि कोरोना महामारी के कारण आज लगभग हर किसी का जीवनशैली में किसी न किसी रूप में बदलाव आयी है जिसका लोगों के स्वाथ्य पर काफी प्रतिकूल असर पड़ा है।

इस कार्यशाला का सञ्चालन इंस्टिट्यूट के रांची शाखा के उपाध्यक्ष सीए पंकज मक्कड़ ने किया। कार्यशाळा के समापन पर रांची शाखा के सचिव सीए अभिषेक केडिया ने सबका धन्यवाद् ज्ञापन किया।

इस कार्यशाला के आयोजन में इंस्टिट्यूट के रांची शाखा के कोषाध्यक्ष सीए हरेन्दर भारती और स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सीए निशांत मोदी का महत्वपूर्ण योगदान था।

इस कार्यशाला में काफी संख्या में चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ने भाग लिया जिसमे इंस्टिट्यूट के रांची शाखा के पूर्व अध्यक्ष सीए रघु कौशल, सीए परमानन्द दुबे, सीए जे पी शर्मा, सीए प्रवीण शर्मा, सीए राज कुमार, सीए धर्मेंद्र सिन्हा भी शामिल थे।

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