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माहवारी स्वच्छता के लिए एक माह का जागरूकता अभियान ‘‘चुप्पी तोड़ो, स्वस्थ रहो’’

रांची, झारखण्ड | मई | 28, 2020 :: महिलाओं एवं लड़कियों में माहवारी स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने तथा इसको लेकर व्याप्त चुप्पी को तोड़ने हेतु राज्य सरकार ने गुरूवार को एक माह के डिजिटल अभियान ‘‘चुप्पी तोड़ो, स्वस्थ रहो’’ की शुरूआत की। ‘‘चुप्पी तोड़ो, स्वस्थ रहो’’ अभियान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए डिजिटल मीडिया का उपयोग किया जाएगा, ताकि कोविड-19 के कारण सोशल डिस्टेंसिंग नियम का पालन करते हुए अभियान का प्रचार-प्रसार किया जा सके।
28 मई को वैश्विक स्तर पर माहवारी स्वच्छता दिवस के रूप में मनाया जाता है, ताकि सरकारी एजेंसियों, गैरसरकारी संस्थाओं, व्यक्तियों, प्राइवेट सेक्टर तथा मीडिया को सभी लड़कियों एवं महिलाओं हेतु माहवारी स्वच्छता प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए एक साथ लाया जा सके।
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से शुरू किए गए इस अभियान में टीवी, ऑनलाइन कॉॅफ्रेंसिंग, मीडिया तथा डिजिटल प्लेटफार्म- व्हाट्सएप्प आदि का उपयोग किया जाएगा, ताकि 28 मई से 27 जून 2020 तक चलने वाला एक माह का यह अभियान अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सके।
झारखंड सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री, श्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि महामारी के कारण उत्पन्न हुई स्थिति के कारण माहवारी स्वच्छता उत्पादों की उपलब्धता तथा इसके उपयोग में किसी प्रकार की कठिनाई नहीं आनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि ‘‘किसी महामारी के कारण पीरियड्स नहीं रूकते। हालांकि कोविड-19 से खुद को सुरक्षित रखने के लिए यह आवश्यक है कि हम प्रतिबंधों का पालन करें, लेकिन इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि माहवारी स्वच्छता उत्पादों की उपलब्धता और इसके उपयोग में किसी प्रकार की बाधा न आने पाए। ‘चुप्पी तोड़ो, स्वस्थ रहो’ अभियान यह सुनिश्चित करेगा कि झारखंड की लड़कियां एवं महिलाएं माहवारी स्वच्छता के विषय में खुल कर चर्चा करें तथा स्वस्थ एवं सुरक्षित अभ्यास को अपनाएं। हालांकि महामारी के कारण हमारी दिनचर्या प्रभावित हुई है, लेकिन माहवारी स्वच्छता को लेकर सामाजिक वर्जनाओं के खिलाफ लड़ाई जारी रहनी चाहिए। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग स्कूल जाने वाली लड़कियों एवं महिलाओं को निःशुल्क सैनेटरी पैड्स देने के प्रस्ताव पर काम कर रही है। मुझे उम्मीद है कि यदि इसे लागू किया जा सके तो माहवारी स्वच्छता को बेहतर बनाने में यह मील का पत्थर साबित होगा’’
महीने भर चलने वाले इस अभियान में स्वास्थ्य, शिक्षा, पंचायती राज, महिला एवं बाल विकास तथा ग्रामीण विकास विभाग द्वारा भी सहयोग किया जाएगा। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव, प्रशांत कुमार ने कहा कि सभी विभागों के मध्य सहयोग एवं समन्वय के ़द्वारा बहु-आयामी दृष्टिकोण के माध्यम से इस अभियान को सफल बनाया जाएगा।
‘‘इस अभियान के तीन प्रमुख घटक हैं। पहला हम वर्च्युअल ट्रेनिंग के माध्यम से जागरूकता पैदा करेंगे। दूसरा, हम सैनेटरी नैपकिंस तथा दूसरे अन्य आवश्यक जरूरतों के वितरण को सुनिश्चित करेंगे। तीसरा, हम समुदाय से लेकर राज्य स्तर तक विभिन्न माध्यमों से माहवारी स्वच्छता पर डिजिटल सामग्री का वितरण करेंगे। हम जिलों को स्व-सहायता समूहों के माध्यम से पैड उत्पादन केंद्र स्थापित करने के लिए भी प्रोत्साहित करेंगे।’’
यूनिसेफ झारखंड के प्रमुख श्री प्रसांता दास ने कहा कि स्कूल बंदी तथा सोशल डिस्टेंसिंग के दौरान जागरूकता पैदा करने में ऑनलाइन माध्यमों ने सकारात्मक भूमिका अदा की है।
‘‘महामारी के कारण बड़े प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने की समस्या हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है। लेकिन 21वीं सदी में इंटरनेट तथा स्मार्टफोन ने इस मुश्किल को थोड़ा आसान बना दिया है। और इसी का परिणाम है कि हजारों स्वास्थ्य कर्मियों तथा स्वयंसेवकों को महामारी का मुकाबला करने के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जाना संभव हुआ है। टीवी के माध्यम से बच्चों तक पहुंचाई जा रही शिक्षण सामग्रियों तथा डिजिटल कक्षाओं ने छात्रों तथा उनके परिवारों को स्कूल बंद रहने के दौरान स्थिति का सामना करने में मदद की है। मेरा मानना है कि महत्वपूर्ण विभागों के मध्य बेहतर समन्वय प्रयासों के द्वारा इस अभियान को सफल बनाया जा सकता है। मैं सभी विभागों, खासकर स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण विकास तथा पेयजल एवं स्वच्छता विभाग से अनुरोध करूंगा कि माहवारी स्वच्छता प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए एक साथ आएं।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (2015-16) के अनुसार, झारखंड में 15-49 साल की उम्र की 10 में से 4 महिलाएं ही पीरियड्स के दौरान सैनेटरी पैड का इस्तेमाल करती हैं। माहवारी स्वच्छता उत्पादों की उपलब्धता तथा इसका बेहतर उपयोग स्वास्थ, शैक्षिक स्थिति तथा महिलाओं एवं लड़कियों की सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभाव डालता है।

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