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दिल्ली :: ज्ञान द्वारा हो सकता है सम्यक आचार का पालन : आचार्य महाश्रमण

ज्ञान द्वारा हो सकता है सम्यक आचार का पालन : आचार्य महाश्रमण

*-अणुव्रत भवन प्रवास का दूसरा दिन: शांतिदूत ने दी ज्ञानरूप आचरण करने की प्रेरणा

*-सम्पूर्ण तेरापंथ समाज से जुड़ा की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है अणुव्रत भवन: आचार्यश्री

*-27 मार्च को तालकटोरा स्टेडियम में होगा अहिंसा यात्रा संपन्नता समारोह का आयोजन

24.03.2022, गुरुवार, अणुव्रत भवन, आइ.टी.ओ. (दिल्ली)
देश की राजधानी दिल्ली का आई.टी.ओ. का पंडित दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर देश भर की प्रमुख राजनैतिक पार्टियों व अनेक सरकारी गैर सरकारी संगठनों के मुख्यालयों के बीच जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ऐतिहासिक अणुव्रत भवन में अपने पावन प्रवास के दूसरे दिन गुरुवार को जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने समुपस्थित श्रद्धालुओं को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि शास्त्रकार ने एक मार्गदर्शन प्रदान करते हुए कहा है कि पहले ज्ञान फिर ज्ञान और आचरण। इसका अर्थ हुआ कि आदमी को ज्ञान होता है तो ज्ञानपूर्वक उसका सम्यक आचरण संभव हो सकता है। हिंसा-अहिंसा के विषय में जानकारी न हो, जीव-अजीव के विषय में कोई न जाने, पाप-पुण्य के विषय मंे कोई न जाने तो भला वह अहिंसा का पालन कैसे कर सकता है? किसी को विद्यार्थियों को पढ़ाना हो और वह पढ़ाने के विषय में कुछ न जानता हो तो वह भला विद्यार्थियों को कैसे पढ़ा सकता है। इसी प्रकार खाना बनाना, मकान बनाना आदि कोई भी विषय की आदमी को जानकारी हो तो वह कार्य अच्छा हो सकता है। इसलिए बताया गया कि पहले ज्ञान हो बाद में उसके अनुरुप क्रिया हो तो वह कार्य संपूर्ण हो सकता है। इसी प्रकार आदमी को हिंसा-अहिंसा, जीव-अजीव आदि की जानकारी हो तो आदमी हिंसा से मुक्त हो सकता है और अहिंसा का पालन कर सकता है। विद्या संस्थानों में ज्ञान का आदान-प्रदान होता है। ज्ञान के साथ-साथ विद्यार्थियों को अच्छे संस्कार भी दिए जाएं तो जीवन अच्छा हो सकता है।

आचार्यश्री ने अणुव्रत भवन के संदर्भ में फरमाते हुए कहा यह भवन अपने आप में प्रसिद्धि को प्राप्त है। यह तेरापंथ धर्मसंघ से देश-विदेश से जुड़ाव का सबसे अच्छा भवन है। यहां परम पूज्य आचार्य तुलसी कितनी बार पधारे और यहां चतुर्मास भी किए। यहां कितने-कितने राजनैतिक लोगों ने भी गुरुदेव का मिलना हुआ। यह अणुव्रत भवन मानों तेरापंथ धर्मसंघ का मुख्य केन्द्र है। देश की राजधानी में यह तेरापंथ समाज का अच्छा स्थान है। अब तो दिल्ली में साध्वीप्रमुखाजी का समाधिस्थल भी हो गया। हमारा यहां शेषकाल में आना हुआ है। यहां अध्यात्म और धर्म की गतिविधियां निरंतर रूप से चलती रहें।

आचार्यश्री के मंगल प्रवचन से पूर्व साध्वीवर्या साध्वी संबुद्धयशाजी ने लोगों को उद्बोधित जैन विश्व भारती द्वारा प्रकाशित मुनि महेन्द्रकुमारजी की पुस्तक ‘करें कतिपय निमज्जन जैन तत्त्व सागर में’ पदाधिकारियों द्वारा लोकार्पित की गई। आचार्यश्री ने पुस्तक के संदर्भ में उद्बोधन प्रदान किया। इस दौरान जैन विश्व भारती के अध्यक्ष श्री मनोज लूणिया, श्री सुभाष जैन व अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास के मुख्य ट्रस्टी श्री केसी जैन ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। श्री पुलकित जैन ने गीत का संगान किया।

आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी अहिंसा यात्रा के साथ नेपाल, भूटान की विदेशी धरती को पावन बनाने के साथ भारत के 20 राज्यों में लगभग 18 हजार किलोमीटर की पदयात्रा करते हुए वर्तमान में पुनः दिल्ली में प्रवासित हैं। 27 मार्च को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में अहिंसा यात्रा की संपन्नता समारोह का आयोजन संभावित है। इसके लिए आचार्यश्री 25 मई को शाहदरा आदि क्षेत्रों को पावन बनाने के उपरान्त 27 मार्च को तालकटोरा स्टेडियम में पधारेंगे। जहां भारत के अनेक विशिष्ट गणमान्यों की उपस्थिति में अहिंसा यात्रा के संपन्नता समारोह का भव्य आयोजन होगा।

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