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पुत्र स्वर्ग और नरक दोनो दे सकता है – आचार्य दीनानाथ शरण

राची, झारखण्ड | अप्रैल | 04, 2024 ::

श्री जगतगुरू देवाचार्य मलुक पीठाधीश्वर श्री राजेन्द्र दास जी महाराज के कृपापात्र शिष्य परम पूज्य आचार्य दीनानाथ शरण जी महाराज श्री धाम वृन्दावन के मुखारविन्द से आज पंचम दिवस की भागवत कथा मे कहा कृष्ण जन्म के बाद नन्दबाबा ने केवल ब्राह्मण को ही नही भट,सुत और जेल के कैदियों को भी दान दिया, सन्तान के जन्म पर गोदान और नान्दीमुख श्राद्ध जरूर करना चाहिए, तभी पुत्र का जन्म सार्थक होता है वरना पुत्र भी दु:ख का कारण होता है और दुर्गति भी पुत्र से होता है, धुन्धकारी, वेन, कंस इसके उदाहरण है,जन्म के समय दान पुण्य से बालक को भविष्य मे जीवन की सुरक्षा और समृद्धि देती है, ये सीख हम कृष्ण और राम के जीवन पा सकते है , अतिथि अग्नि स्वरूप है, इसलिए जल के साथ गुड, मिठाई जरूर देना चाहिए. आज पुतना यशोदा की अतिथि बन कर आई, इसलिए यशोदा सबाल घातिनी पुतला की खुब सेवा की, बाललीला की कथा, मटकी फोड झांकी भी प्रस्तुत किया गया

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