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सतत विकास के कई लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए स्तनपान महत्वपूर्ण :: डा. मधुलिका जोनाथन [ प्रमुख, यूनिसेफ झारखंड ]

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रांची, झारखण्ड ।अगस्त  | 01, 2017 :: स्तनपान सभी बच्चे को उसके जीवन में स्वास्थ्यवर्द्धक शुरूआत प्रदान करने में अहम भूमिका अदा करता है। यह बच्चे के लिए पहले टीके के तौर पर काम करता है और पोषण का एक महत्वूर्ण श्रोत है। यह बच्चे के मानसिक विकास को मजबूती प्रदान करने के अलावा बच्चे के जीवन को सुरक्षा प्रदान कर सकता है।

स्तनपान राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को भी समृद्ध करता है।स्तनपान से माताओं और बच्चों को मिलने वाले लाभ में इतनी ताकत है कि यह देश की अर्थव्यवस्था में सुधार ला सकता है। इसके अलावा यह स्वास्थ्य लागत में कटौती करने के साथ-साथ मजबूत एवं सक्षम कार्यबल का निर्माण कर सकता है।

लेकिन, स्तनपान किसी एक महिला का का मन हीं है। इसकेलिए कुशल परामर्शदाताओं, परिवार के सदस्यों, स्वास्थ्य देखभाल करने वालों, नियोक्ताओं, नीतिनिर्माताओं तथा अन्य लोगों के प्रोत्साहन और सहयोग की भी आवश्यकताहै।

यूनिसेफ झारखंड की प्रमुख, डा. मधुलिका जोनाथन ने कहा कि, ‘‘सतत विकास के कई लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए स्तनपान महत्वपूर्ण है। स्तनपान बच्चे को पोषण देने के साथ-साथ, मृत्यु से बचाव और शिक्षा एवं मानसिक विकास को बेहतर बनाकर उसके जीवन को सर्वोत्तम शुरूआत दिलाता है। स्तनपान बहुत ही कम लागत वाले निवेशों में से एक है, जिसे सुनिश्चित कर झारखंड में सामाजिक और विकास के संकेत को बेहतर बनाया सकता है।’’

 

1-7 अगस्त तक मनाए जाने वाले स्तनपान सप्ताह का इस वर्ष थीम है, ‘‘सस्टेनिंग ब्रेस्टफिडिंग टुगेदर है’’जो कि बच्चों और राष्ट्र के लिए स्तनपान की आवश्यकताऔरमहत्व को रेखांकित करता है।

 

स्तनपान प्रत्येक बच्चे को एक अच्छी शुरूआत दिला सकता है

        बच्चे को जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान कराना उसके मृत्यु के खतरे को कम कर देता है।

        बच्चे को स्तनपान कराकर मां अपने अंदर की प्रतिरक्षा प्रणाली के तत्वों को बच्चे के साथ साझा करती है, जिससे बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है और उसे एक सुरक्षा कवच मिलता है।

        छह माह से कम उम्र के बच्चे जिसे लंबे समय तक सिर्फ मां का दूध पिलाया जाता है, उसे संक्रमण की बीमारी और मृत्यु का खतरा, उन बच्चों की तुलना में कम होता है, जिसे कुछ समय के लिए स्तनपान कराया जाता है या नहीं कराया जाता है।

        बच्चों को लंबे समय तक स्तनपान कराना, बच्चों में अधिक वजन या मोटापे के खतरे को कम कर देता है।

        स्तनपान करने वाले बच्चों की मानसिक क्षमता, स्तनपान न करने वाले बच्चों की तुलना में 3 से 4 प्वाइंट ज्यादा होती है।

        बच्चों को स्तनपान कराने में माताओं को सहायता करने से डायरिया की घटनाओं में आधी तथा श्वसन संक्रमण में एक तिहाई तक कमी लायी जा सकती है ।

स्तनपान किसी एक महिला का काम नहीं है। यह परिवारों, समुदायों, स्वास्थ्य देखभालकर्ता, नियोक्ताओं तथा सरकारों के सहयोग पर निर्भर करताहै।

        स्वास्थ्य देखभालकर्ता माताओं को महत्वपूर्ण समयों पर अपने बच्चों को स्तनपान कराने हेतु प्रेरित कर सकते हैं। हालांकि, कई ऐसे पेशवरों में स्तनपान कराने की इच्छुक माताओं को सहायता प्रदान करने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल का अभाव होता है।

        समुदाय आधारित उपाय जैसे कि सामूहिक परामर्श और शिक्षा, समय पर स्तनपान कराने के अभ्यास को 86 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है।

        कार्य, स्तनपान की राह में एक बड़ी बाधा है।इसकी वजह से माताएं अपने बच्चे को जल्दी स्तनपान बंद करने के लिए बाध्य हो जाती हैं।

        स्तनपान पर किया गया एक अध्ययन यह बतलाता है कि मातृत्व अवकाश और कार्यस्थलों पर मिलनेवाला सहयोग स्तनपान की दरको 30 प्रतिशत तक बढ़ा देता है।

झारखंड कहां खड़ा है?

भारत सरकार के राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वे(एनएफएचएस-4) के आंकडों के मुताबिक, झारखंड में शुरूआती स्तनपान कराने की दर केवल 33 प्रतिशतहै, जबकि 6-8 महीने के बच्चे को पूरक आहार देने की दर 47 प्रतिशतहै। केवल 7 प्रतिशत बच्चे को ही पर्याप्त आहार मिल पाता है।

 

मां [ MAA ] कार्यक्रम

झारखंड सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग के तहत मांयानिमदर्स एवसोल्यूट एफेक्शन[ MAA ]कार्यक्रम की शुरूआत झारखंड के माननीय मुख्यमंत्री, रघुवरदास के द्वारा  2016 में की गई। यह कार्यक्रम माताओं और परिवारों को परामर्श सेवा देने पर केंद्रित है तथा नवजात को स्तपान सुनिश्चित कराने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का परिचायक है

 

क्या करने की जरूरत है?

शिशुदुग्ध अनुकल्प, पोषण बोतल एवं शिशु खाद्य (उत्पादन, आपूर्ति एवं वितरण का विनियमन) अधिनियम, 1992 को दूबारा लागू करने और उसके प्रभावी कार्यान्वयन की आवश्यकता है। मातृत्व लाभ अधिनियम को लागू किया जाना चाहिए और कार्यस्थलों पर माताओं को सहायता प्रदान किया जाना चाहिए।

 

 

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