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सरहुल हमें प्रकृति की पूजा ही नहीं बल्कि इसके संरक्षण के लिए भी प्रेरित और प्रोत्साहित करता है : डॉ. मनोज कुमार

राची, झारखण्ड | अप्रैल | 09, 2024 ::

मारवाड़ी महाविद्यालय, रांची में “सरहुल पूर्व संध्या सह व्याख्यान समारोह” का आयोजन अत्यंत ही हर्षोल्लास के साथ धूमधाम से मनाया गया । प्राचार्य डॉ. मनोज कुमार की अध्यक्षता एवं जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग की विभागाध्यक्षा प्रो. महामनी कुमारी के नेतृत्व में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के छात्र-छात्राओं के द्वारा परंपरागत सरहुल नृत्य प्रस्तुत कर प्रकृति के इस महान पर्व का आभार व्यक्त किया गया । प्राचार्य डॉ. मनोज कुमार ने इस अवसर पर सभी छात्र-छात्राओं एवं शिक्षक-शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को सरहुल पूर्व संध्या समारोह के अवसर पर बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं दी और प्रकृति के इस पर्व का बहुत ही सारगर्भित बातों को रखा । उन्होंने बतलाया की प्रकृति के अनुसार हमारे सारे क्रियाकलाप निर्धारित हैं । यदि हम उसे सुरक्षित रखेंगे तभी हमारे सारे क्रियाकलाप सही रूप में रहेंगे । अगर उसे नष्ट करेंगे और उसके साथ छेड़छाड़ करेंगे तो वो भी किसी न किसी रूप में हमें अवश्य प्रभावित करेगा । यह पर्व हमें प्रकृति की पूजा ही नहीं बल्कि इसके संरक्षण के लिए भी प्रेरित और प्रोत्साहित करता है । आइए आज हम प्रण लें कि प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण करेंगे ।
इस कार्यक्रम के में मुख्य वक्ता
डॉ. हरि उरांव ने सरहुल पूर्व संध्या पर सूर्य और पृथ्वी के मिलन को बतलाया तथा नवसृजन की कथा बतलाई । विशिष्ट वक्ता सरन उरांव ने सरहुल पूजा पद्धति एवं अस्तित्व पर प्रकाश डाला । उन्होंने इस पर्व को प्रकृति पर्व के साथ प्रेम, भाईचारे और एकता का भी रूप बतलाया । प्रो. महामनी कुमारी ने मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि एवं सभी आगंतुकों का स्वागत किया ।
वक्ताओं के व्याख्यान के पश्चात छात्र-छात्राओं द्वारा क्रमश: कुरुख सरहुल नृत्य, नागपुरी सरहुल नृत्य, एन.सी.सी. कैडेटों द्वारा सादरी सरहुल नृत्य एवं मुंडारी सरहुल नृत्य प्रस्तुत कर सामूहिकता, प्रेम और भाईचारे को सबके सामने दिखलाया ।
मंच का संचालन डॉ. अवध बिहारी महतो एवं डॉ. अशोक कुमार महतो के द्वारा किया गया एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. वृन्दावन महतो ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रोफेसर इंचार्ज डॉ. आर. आर. शर्मा, डी.एस.डब्ल्यू. डॉ. तरुण चक्रवर्ती, डाॅ. खातिर हेमरोम, प्रो.सुमंती तिर्की, प्रो. संगिता तिग्गा, डाॅ. महेश्वर सारंगी, डाॅ. बहालेन होरो, डाॅ. ए. एन. सहदेव, डाॅ. बन्दे उरांव, डाॅ. अनुजा विवेक, प्रो. अर्चना सैफाली, डाॅ. अमित कुमार, डॉ. ज्योति किंडो, डॉ. सीमा चौधरी एवं समस्त छात्र-छात्राओं की महत्वपूर्ण भागीदारी रही ।

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