राची, झारखण्ड | जनवरी | 07, 2023 :: आज दिनांक 07.01.2023 को अपराहन 4:00 बजे राँची नगर निगम में श्री संजीव विजयवर्गीय , उप महापौर , राँची के द्वारा आयोजित प्रेसवार्ता में सभी नीडिया बंधुओ को संबोधित करते हुए अपनी बातों को रखें ।
जो निम्नवत् है :
1. राँची शहर के विकास एवं आम जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए उप – महापौर , राँची सहित निगम परिषद् के सदस्यों के द्वारा बार – बार नगर निगम परिषद् की बैठक बुलने पर भी निगम परिषद् की बैठक का नहीं होना कहीं ना कहीं सभी जन – प्रतिनिधियों का अपनान है ।
निगम में अफसरशाही का हावी होना यह साफ दर्शाता है कि राँची शहर के लिए जो भी निर्णय लिए जा रहे हैं उन निर्णयों पर राँची नगर निगम के जन प्रतिनिधियों की राय नहीं लेना भी गंभीर विषय है ।
2. राँची नगर निगम के द्वारा आयोजित कई कार्यक्रमों में उप – महापौर , राँची को बुलना तो दूर उस कार्यक्रम की जानकारी तक नहीं दी जाती ।
साथ ही बिना निगम परिषद् को जानकारी के आनन – फानन में बड़ी योजनाओं को जल्दबाजी में क्रियान्वयन कराने को यह क्यों ना समझा जायें कि अफसरों को लाभकारी योजनाओं की सफलता से कोई सरोकार नहीं हैं , उन्हें सिर्फ योजनाओं की गिनती बढ़ानी है ।
चाहें उन योजना में कितनी भी खामी क्यों ना हो ।
इसलिए जन – प्रतिनिधियों को इन योजनाओं से दूर रखने की कोशिश की जा रही है ।
उदाहरण स्वरूप आनन – फानन में कल मेन रोड़ में अस्थायी अश्रयगृह का निर्माण कराया गया ।
क्या इसके निर्माण से पहले निगम परिषद् में रखा गया ।
यह एक बार निगम परिषद् के सदस्यों के साथ इस पर चर्चा की गयी ।
आप सभी को बतलाना चाहूँगा कि इतनी अच्छी योजना पर अगर एक बार चर्चा कर ली जाती तो आज जो अस्थायी आश्रयगृह का निर्माण कराया गया है .
उसके जगह यहीं स्थायी आश्रयगृह का निर्माण होता ।
3. राँची शहर में कई कम्पनियों के द्वारा बड़े – बड़े सड़कों सहित गली मुहल्लो के सड़कों को गढ़े में तब्दिल कर छोड़ दिया जा रहा है ।
जिससे आम जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है ।
उसी निम्ति दिनांक 28.12.2022 को नगर आयुक्त महोदय को संबंधित सभी विभागों एवं कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ दिनांक 04.01.2023 को एक बैठक आहूत करने हेतु पत्राचार किया था , परन्तु मेरे पत्र पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की गयी ।
फलस्वरूप दिनांक 04.01.2023 की बैठक नहीं हो पायी । आज जब अधिकारियों मेरे द्वारा आयोजित प्रेसवार्ता की जानकारी मिली तो आनन – फानन में 10.01 . 2023 को उपरोक्त विषय पर बैठक आहूत की गयी है ।
इससे यह साफ झलकता है कि अफसर को जनता की तकलिफों से कोई सरोकार नहीं है ।
एवं यह व्यों ना समझा जाए कि मेरे द्वारा किए गए पत्राचार का कोई महत्व नहीं है ।
4. TVC के कई बैठकों में लिए गए निर्णयों पर किसी भी तरह का कोई भी कार्रवाई नहीं होना , यह भी निगम के अफसरशाही की मनमानी को साफ दर्शाता है ।
जैसे कि अटल स्मृति वेंडर मार्केट का निर्माण उपरांत वेंडरों को जगह आवंटन किए कई वर्ष हो गये है परन्तु सैकड़ों की संख्या में दावा आपत्ति वर्षों से लंबित है ।
बार – बार TVC की बैठक एवं अन्य बैठकों में इसके निराकरण हेतु दिशा – निर्देश देने के बाद भी निराकरण नहीं होना यह साफ दर्शाता है कि NULM Cell से संबंधित कर्मियों एवं निगम के अफसरों को वेंडरों के तकलीफों की परवाह नहीं है एवं TVC में लिए गए निर्णय का क्रियान्वयन नहीं होना ।
जिससे यह प्रतीत होता है कि कही ना कहीं NULM Cell के कर्मियों या निगम के पदाधिकारियों के द्वारा किन्हीं खास व्यक्तियों को व्यक्तिगत लाभ पहुँचाने का कार्य किया जा रहा है ।
5. राँची शहर के सभी पार्षदों द्वारा लगातार प्रयास कर अपने – अपने वार्डों में जन सुविधा बहाल हेतु कई योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु अनुशंसा करने के बाद कई माह पूर्व टेंडर होने के बाद भी आज तक उन टेंडरों का निष्पादन नहीं होना भी सभी जन – प्रतिनिधियों के प्रयास को विफल करने की साजिश प्रतीत होती है ।
बार – बार कह बाद भी इन विषयों को गंभीरता से नहीं लेना कहीं ना कहीं जन – प्रतिनिधियों एवं आम जनता के आशाओं का अपमान ही है ।
6. निगम द्वारा जोंटा कंपनी को दिया गया कार्य के सफल निष्पादन नहीं करने की स्थिति में एवं निविदा के शर्तों के उल्लंघन को देखते हुए राँची निगम परिषद् के द्वारा जोंटा कंपनी को हटाने हेतु कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया था । ठीक उसके विपरीत जोंटा कंपनी को एक महीने का समय दिया जाना एवं इस विषय पर अफसरों की चुप्पी निगम परिषद् की निर्णय की अवहेलना है ।
7. हर वर्ष मानसून आने पर नालीयों को ढकना एवं बड़े नालो को बारकेटिंग करना जैसे कई कार्य जल्दबाजी में किए जाते है । बार – बार समय रहते योजना बनाने हेतु अधिकारियों को कहा जाता ।
उसके बाद भी अधिकारीयों की आंख नहीं खुलती है ।
आने वाले मानसून के लिए अगर अभी योजना नहीं बनायी गयी तो फिर हर बार की तरह केवल खानापूर्ति ही की जाएगी । बार – बार कहने के बाद भी इस गंभीर विषय पर अफसरों की कोई रूचि नहीं लेना यह भी एक बहुत गंभीर विषय है ।
और ऐसे समय जबकि निगम परिषद् का कार्यकाल मात्र 2 से 3 माह ही रह गया है ।
ऐसे अफसरों का नींद में सोना आमजनों के जान – माल से खेलने के बराबर है ।
और यहीं कारण है कि मौनसून के समय निगम को नकारा कहा जाता है ।
आज यही कारण है कि व्यथित होकर आज मुझे निगम कार्यालय को छोड़कर बाहर निगम परिषर में खुले आसमान के नीचे आप लोगों को संबोधित करना पड़ा । ।