रांची, झारखण्ड । मार्च | 14, 2018 :: ज्योतिष शास्त्री स्वामी दिव्यानंद ( डॉ सुनील बर्मन ) के अनुसार
बस, अब चंद दिन ही रह गए हैं, 18 मार्च…..
नववर्ष का आगमन, प्रकृति भी कर रही है तैयारी, स्वागत के लिये आतुर, पेड़ों में नव पल्ल्व, मौसम का मिज़ाज़ भी खुशनुमा, नए – नए फल,……
करे भी क्यूँ ना…. नए वर्ष के आगमन पर माँ दुर्गा का आगमन, गुड़ी पड़वा, आर्य समाज की स्थापना दिवस, पुरषोत्तम मर्यादा भगवान श्री राम चंद्र जी का जन्मोत्सव, फिर उनका राज्याभिषेक, महान संत श्री दयानन्द सरस्वती जी का जनमोत्स्व, श्री हेडगेवाड जी का जन्मोत्सव, झुलेलाल जी का प्राकट्य दिवस, इतने सारे उत्स्व एक साथ,… मानो प्रकृति भी स्वागत कर रही है,
पर बड़ी विडंबना कया है ……लोग अपने इस उत्सव को भूलता सा जा रहे हैं, और परदेसी संस्कृति के पिछे पागल सा होते जा रहे हैं, कितनी बड़ी बात है, हमारी संस्कृति, जिसे पूरी दुनिया अपनाने को तैयार हैं, और अपने ही लोग, अपना छोड़कर दूसरे को अनुसरण कर गौरवान्वित हो रहे हैं, दरअसल पूरी गलती इनकी भी नहीं है, यह एक सुनियोजित षड्यंत्र है, जो की आज़ादी के पूर्व ही रचा गया है, वे इस धरना को लेकर प्रारंभ किया- किसी देश को नष्ट करना है, तो उसकी संस्कृति को तोड़ दें, देश स्वतः नष्ट हो जायेगा, यही बात अपने यहाँ लागु होती है, प्रमाण देख लें – हमारी बोली- भाषा, खान – पान, परिधान, सोच, पूजा पद्धति और भी बहुत कुछ…..
आज हमारे बच्चे अपने पर्व – त्योहारों को नहीं मनाने की वकालत पर्यावरण का हवाला देकर करते हैं, लेकिन फिर वही बच्चे कुछ ही दिनों के ही आगे – पीछे किसी पाश्चात्य उत्सव को मनाने के लिए उत्साहित दीखते हैं,
खैर……आइये 18 ता. को नव वर्ष विक्रम सम्वत २०७५
वासंतिक नवरात्र के साथ मनाने की तैयारी में जुट जाएँ, अपने घरों की साफ़ सफाई कर, साज – सज्जा करें, द्वार में वंदनवार लगाएं, पूजनादि करें, मंदिर जाएँ, सामर्थ्यनुसार पूवे – पक्वानादि बनाएं, भगवान को भोग लगाएं, स्वयं भी पूरे परिवार के साथ सानंद खाएं और अन्यों को भी खिलाएं, गरीब बेसहारों को भी खुश करने की चेष्टा करें, घर के ऊपर सनातन धर्म का धर्म ध्वजा प्रतीकात्मक भगवा ध्वज लगायें, और संध्या समय घर ने अंदर – बहार दीपमाला भी जलाएं, अपने बच्चों को इसकी महत्ता अवश्य बताएं, ताकि कहें कोई राष्ट्र प्रेम से दिग्भ्रमित ना कर पाए……
अपने धर्म, राष्ट्र और कर्तब्यों का पालन निष्ठापूर्वक करेंगे, तभी सोने की चिड़ियाँ भारत, पुनः विश्वगुरु के सिंहासन पर विराजमान जो सकेगा, जिसका दायित्व हम सबों के ऊपर है, अब देश को बंटने – कटने से रोकना होगा…..
” जय श्री राम – वंदे मातराम ”
डा. स्वामी दिब्यानन्द (डा. सुनिल बर्मन) 9431108333