रांची, झारखण्ड | मार्च | 05, 2022 :: स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग के 50वें स्थापना दिवस के अवसर पर स्वर्ण जयंती समारोह के अंतर्गत राष्ट्रीय संगोष्ठी का विधिवत उद्घाटन दीप प्रज्वलन, मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण तथा वैदिक और लौकिक मंगलाचरण के साथ हुआ।
परफार्मिंग और फाइन आर्ट के छात्रों द्वारा रांची विश्वविद्यालय का कुल गीत प्रस्तुत किया गया।
सत्र का उद्घाटन करते हुए उद्घाटनकर्त्ती रांची विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफ़ेसर कामिनी कुमार ने कहा उत्सव की वैज्ञानिकता और उसके महत्व को संस्कृत के वैदिक और लौकिक साहित्य में भली प्रकार देखा व समझा जा सकता है।
उन्होंने विगत नैक के मूल्यांकन में संस्कृत विभाग के योगदान की सराहना की तथा अग्रिम नैक के मूल्यांकन हेतु तैयारी हेतु प्रोत्साहित भी किया।
विभागीय पत्रिका सनातनी के स्वर्ण जयंती विशेषांक तथा राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर चंद्रकांत शुक्ला के अभिनंदन ग्रंथ शुक्लयशोविलाश:का विमोचन किया गया।
मुख्य वक्ता प्रोफेसर चंद्रकांत शुक्ला ने अपने उद्बोधन में संस्कृत विभाग के 50 वर्ष की यात्रा का विधिवत रेखांकन किया।
सनातनी पत्रिका का विमोचन करते हुए पत्रिका के संपादक डॉक्टर श्री प्रकाश सिंह ने सनातनी विशेषांक के महत्वपूर्ण बिंदुओं का उल्लेख किया। विशिष्ट अतिथि कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर गंगाधर पंडा ने संस्कृत और लौकिक साहित्य की विविध विधाओं में उत्सवों के वैशिष्ट्य को रेखांकित किया।
विशिष्ट अतिथि सरला बिरला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गोपाल पाठक ने कहा कि संस्कृत भाषा में प्रकाशन और भाषा विज्ञान के पेटेंट पर अपना ध्यान देना आवश्यक है।
तथा संस्कृत भाषा की आधुनिक युग में प्रासंगिकता का उल्लेख किया। मुख्य अतिथि तथा रांची विश्व विद्यालय के पूर्वकुलपति प्रोफेसर अनवर अहमद खान संस्कृत भाषा के प्रसार और मातृभाषा के रूप में संस्कृत भाषा की प्रासंगिकता को आंकड़ों के आधार पर विश्लेषित किया।
सारस्वत अतिथि उमाशंकर शर्मा ऋषि ने भाषा विज्ञान में अपभ्रंश के प्रयोग उल्लिखित किया तथा उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों के बाद ताजगी और नवीनता का एहसास और पुनः उत्सव मनाने की प्रेरणा मिलती है।
उत्सव का अर्थ है उचाई की ओर ले जाने वाला समारोह।अध्यक्षीय भाषण करते हुए पूर्व कुलपति प्रोफ़ेसर कृष्ण कुमार नाग ने कहा कि इस पृथ्वी पर जन्म लेने वाला हर व्यक्ति ईश्वर है यदि वह खुद को समझ सके और अपनी प्रतिभा को निखार सके। इस धरती पर दिखने वाली विविधता में समय का बहुत महत्व है।
वैदिक मंगलाचरण अनुपमा और पूर्वा ने किया। मंच संचालन संस्कृत महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ शैलेश मिश्र ने किया।
स्वागत भाषण करते हुए संस्कृत विभाग की अध्यक्ष प्रो.अर्चना दुबे ने सभी अतिथियों एवं विभागाध्यक्षों के साथ साथ सभी प्रतिभागियों का अभिवादन किया ।
धन्यवाद ज्ञापन परफार्मिंग एण्ड फाइन आर्ट की निदेशक व संस्कृत विभाग की पूर्व अध्यक्ष डाॅ.नीलिमा पाठक ने किया।
विभाग के द्वारा विभाग की स्थापना काल की छात्रा डॉ संगीता एवं डॉ नंदिनी चौधरी का सम्मान किया गया।
संगोष्ठी का प्रथमसत्र उद्घाटन, द्वितीय सत्र सतीर्थ्य मेलनोत्सव ,तृतीय सत्र शोध-पत्र वाचन तथा चतुर्थ व अन्तिम सत्र सम्पूर्ति सत्र का रहा। इस अवसर पर संस्कृत विभाग के सभी पदाधिकारी और प्रतिभागी व कर्मचारी गण तथा विविध महाविद्यालयों के प्राध्यापक,प्राध्यापिकाएं एवं शोध छात्र व छात्राएं उपस्थित रहे ।
संपूर्ति सत्र के मुख्य अतिथि संकाय अध्यक्ष प्रोफ़ेसर गौरी शंकर झा विशिष्ट अतिथि रांची विश्वविद्यालय रांची कुलसचिव डॉ मुकुंद मेहता सभा अध्यक्ष प्रोफेसर अर्चना कुमारी दुबे एवं मंच संचालन श्री एस घोषाल ने किया