राची, झारखण्ड | मई | 29, 2023 :: राँची के रंगकर्मियों ने एक अदभुत कार्यक्रम चला रखा है ‘ठहाका’ , जैसा कि नाम है ठहाका, जाहिर है कि इस कार्यक्रम में ठहाके ही लगते होंगे।
जब रंगकर्मी साथ बैठकर ठहाके लगाते हैं तो पूरी कायनात ठहाकों से गूंजने लगती है।
मई माह का ठहाका रंगकर्मी कैलाश मानव और फजल इमाम के नेतृत्व में दिनांक 28 मई को संपन्न हुआ।
आपसी सद्भाव और स्वास्थ्य का प्रतिरूप बन गया है कलाकारों का ठहाका मिलन।
हर माह के अंतिम रविवार अथवा अंतिम दिन होने वाले इस ठहाका मिलन के प्रणेता हैं डॉ॰ सुशील कुमार ‘अंकन’।
उनके विचार से कलकार अपनी नीजी ज़िदगी में ठीक वैसे ही परेशान हाल होता है जैसा कि एक आम इंसान।
भले ही वह मंच पर राजा का अभिनय कर रहा हो या गड़ेरिया का।
कलाकार भी समाज के बीच का ही आदमी है। उसमें भी दया, करूणा, क्रोध, ईर्ष्या, द्वेष आदि के भाव और संवेदनाएँ होती हैं।
साथ मिलबैठ कर हँस-बोल लेने से आपस में सद्भाव का संचार होता है, प्रेम विकसित होता है और आपसी सूत्र मज़बूत होते हैं।
कलाकारों में सौहार्द एवं राँची रंगमंच में आपसी सहयोग की भावना बनी रहे तथा रंगमंचीय गतिविधियों को गति मिलती रहे।
इन्हीं भावनाओं से प्रेरित होकर ठहाका की शुरूआत 2022 में डॉ॰ अंकन ने की थी।
इसके पहले के ठहाके जिन रंगकर्मियों के घर पर लगे उनमें डॉ॰ कमल बोस, राकेश रमण, ऋषिकेश लाल, रीना सहाय, कुमकुम गौड़, कैलाश मानव एवं फ़जल इमाम आदि शामिल हैं। रंगकर्मी स्वयं आगे आकर ठहाके की बीड़ा उठाते हैं कि अगला ठहाका उनके आवास में लगेगा।
जून महिने का ठहाका रांची रंगमंच की वरिष्ठ कलाकार खुकुरानी घोष (दास) के आवास पर लगेगा ।