रांची,झारखण्ड | मार्च | 08, 2022 :: झारखंड विधानसभा के माननीय अध्यक्ष श्री रबीन्द्र नाथ महतो तथा महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग की मंत्री जोबा मांझी ने विशेष वक्ता के रूप में कार्यक्रम को संबोधित किया।
08 मार्च 2022, रांचीः यूनिसेफ झारखंड ने पाॅलिसी एंड डेवलपमेंट एडवाइजरी ग्रुप (पीडीएजी) के सहयोग से आज लैंगिक संवेदनशीलता एवं लिंग आधारित हिंसा की रोकथाम के मुद्दे पर एक वर्चुअल कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यक्रम को झारखंड विधानसभा के माननीय अध्यक्ष श्री रवींद्र नाथ महतो तथा समाज कल्याण, महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री जोबा मांझी ने विशेष वक्ता के रूप में संबोधित किया। कार्यशाला में विधायकगण – अमित मंडल, संजीव सरदार, इरफान अंसारी तथा सुखराम उरांव ने भी भाग लिया।
झारखंड विधानसभा के माननीय अध्यक्ष श्री रबीन्द्र नाथ महतो ने अपने विशेष संबोधन में कहा, “आज महिलाएं कला, खेल, प्रशासन, शिक्षा या राजनीति में खुद को अभिव्यक्त करने के लिए नए रास्ते तलाश रही हैं तथा उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण पदों पर सफलतापूर्वक खुद को स्थापित किया है। हालांकि, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं एवं लड़कियों को समस्त अधिकार प्रदान करने हेतु कई उपाय किए गए हैं, फिर भी हमें एक लंबा रास्ता तय करना है। महिलाओं के लिए न केवल कार्यस्थल पर बल्कि घर पर भी उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। उनकी प्रगति में किसी को भी अवरोध पैदा नहीं करना चाहिए। एक समाज के रूप में, हमें अपने कार्यों एवं उसके परिणामों के बारे में अधिक जागरूक होने की आवश्यकता है। यह कार्यशाला उसी दिशा में एक बड़ा कदम है।’’
माननीय अध्यक्ष ने आगे कहा, ‘‘महिलाओं के खिलाफ हिंसा समृद्ध समाज पर एक धब्बा है। कोविड -19 के कारण लगाए गए लॉकडाउन के दौरान, महिलाओं को घरेलू हिंसा का अधिक खतरा था और इसे रोकना भी पहले से कहीं अधिक कठिन था। ऐसा देखा गया है कि घटनाओं की रिपोर्टिंग को लेकर पीड़ितों में जागरूकता की कमी है और वे रिपोर्ट करने में भी हिचकिचाते हैं। वे शिकायत करने को लेकर डरते हैं और अपनी चाहरदीवारी के अंदर ही पीड़ित होने के लिए अभिशप्त होते रहते हैं। इसकी कल्पना ही दिल को दहलाने वाला है कि दुनिया भर में महिलाओं की एक खासी संख्या है, जो इन हालातों से प्रतिदिन दो-चार होती रहती हैंै। हमें कोविड-19 या इस तरह की अन्य आपदाओं से निपटने के लिए रणनीति बनाने की प्रक्रिया में महिलाओं को भी शामिल करने की आवश्यकता है।”
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए समाज कल्याण, महिला एवं बाल विकास मंत्री जोबा मांझी ने कहा, “हिंसा दृश्य और अश्य दोनों हो सकती है। हालांकि, हिंसा पुरुषों और महिलाओं दोनों पर समान रूप होती है, फिर भी हमें यह समझने की जरूरत है कि हमारे समाज और घरों में सबसे कमजोर स्थिति में कौन है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि महिलाएं और विशेषकर युवा लड़कियां सबसे अधिक हिंसा की शिकार होती हैं। बाल विवाह, घरेलू हिंसा, कन्या भ्रूण हत्या, दहेज से संबंधित दुव्र्यवहार सभी लिंग आधारित हिंसा के रूप हैं।
कार्यशाला के बारे में बताते हुए यूनिसेफ झारखंड की संचार अधिकारी, आस्था अलंग ने कहा, ‘‘लिंग आधारित हिंसा से लड़ना सतत विकास लक्ष्य-5 में उल्लिखित लैंगिक समानता को प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण पहलू है। लिंग विभेद या असमानता असमान अवसरों का परिणाम है। हालांकि, यह लड़के एवं लड़कियों दोनों के जीवन पर प्रभाव डालता है, लेकिन सांख्यिकीय रूप से यह लड़कियांे को सबसे अधिक प्रभावित करता है। लड़कियां तथा लड़के अपने घरों तथा समुदायों में-फिल्मों में, और अपने दिन-प्रतिदिन के जीवन में लैंगिक असमानता को देखते हैं। यह उनके दिमाग और व्यवहार पर गहरा असर डालता है। समानता लाने के लिए लैंगिक मानदंडों का पालन करना तथा बालिकाओं को महत्व देना महत्वपूर्ण है।’’
यूनिसेफ झारखंड की प्रभारी अधिकारी पारुल शर्मा ने कहा, ‘‘हालांकि लिंग आधारित हिंसा पुरुष प्रधान समाज में गहरे तक पैठी एक मानसिकता है, लेकिन कुछ सरल कदमों के द्वारा इसके उन्मूलन की दिशा में सार्थक प्रयास किए जा सकते हैं, जैसे कि एक कानूनी और नीतिगत वातावरण तैयार करना, जो कि घरेलू हिंसा, सड़कों पर दुर्व्यवहार या कार्यस्थल पर लिंग आधारित उत्पीड़न के मामले को कड़ाई से निपटे। इसके अलावा, वेतन समानता और संपत्ति के अधिकार की गारंटी देकर महिलाओं एवं लड़कियों के लिए समानता भरा अवसर एवं माहौल पैदा किया जा सकता है। साथ ही पुरुषों एवं लड़कों तथा महिलाओं को समान भागीदार के रूप में स्वीकार करने और उसी के अनुरूप सहयोग करने के लिए प्रशिक्षित करके भी बदलाव लाया जा सकता है। ये तीन कदम पुरुषों एवं महिलाओं के बीच ‘असमान शक्ति संबंधों’ को भी दूर करने में मदद करेंगे, जिसके परिणामस्वरूप प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हिंसा होती है।’’
गोड्डा के विधायक अमित कुमार मंडल ने कहा, ‘‘न सिर्फ झारखंड बल्कि पूरे देश को महिला सशक्तिकरण के लिए काम करने की जरूरत है. हम अपने देश के अच्छे मॉडलों से प्रेरणा ले सकते हैं और इसे अपने राज्य में लागू करने की पहल कर सकते हैं।”
जामताड़ा से विधायक डॉ. इरफान अंसारी ने कहा, ‘‘महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सामाजिक और आर्थिक दोनों तरह के समर्थन की जरूरत है। लिंग आधारित हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए।